Kuno Cheetah Death : कूनो नेशनल पार्क में चीता की मौत पर कमलनाथ ने उठाए सवाल, कहा ‘वन्य प्राणियों को चढ़ा रहे हैं राजहठ की भेंट’

Kuno Cheetah Death : राजनीति अब बेजुबान जानवरों को भी नहीं बख्श रही..राजनीतिक तमगा हासिल करने और श्रेय लेने के लिए बड़े तामझाम से नामीबिया से चीते भारत लाए गए। लेकिन एक के बाद एक चीतों की मौत ने इस पूरे प्रोजेक्ट पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। बुधवार को एक और मादा चीता की मौत हो गई और इसी के साथ अब तक यहां 9 चीतों की मौत हो चुकी है। मादा चीता ‘धात्री’ (टिबलिसी) का शव कूनो के बाहरी इलाके में मिला। पिछले चार महीने में कूनो नेशनल पार्क में 6 वयस्क और 3 चीता शावकों की मौत हो चुकी है। एक और चीते की मौत की खबर से वन विभाग में हड़कंप का माहौल है। इसी के साथ प्रोजेक्ट चीता पर फिर सवाल उठने लगे हैं।

कमलनाथ ने सरकार पर जड़े आरोप

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने चीते की मौत पर ट्वीट करते हुए कहा है कि ‘प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मृत्यु का समाचार आया है। जब से प्रधानमंत्री ने चीतों को यहां छोड़ा है, तब से अब तक नौ चीतों की मौत हो चुकी है, लेकिन सरकार लगातार इस बात पर अड़ी हुई है कि वह अन्य किसी जगह पर चीतों को नहीं बसाएगी। बेगुनाह वन्य प्राणियों को अपने राजहठ की भेंट चढ़ाना अत्यंत निंदनीय कृत्य है।’ पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर चिंता जताते हुए कहा था कि राजनीति से ऊपर उठकर कुछ चीतों को राजस्थान भेजने पर विचार करना चाहिए। अब कांग्रेस भी यही बात दोहरा रही है कि चीतों को ऐसी जगह शिफ्ट किया जाना चाहिए जहां उनके सर्वाइव करने की गुंजाइश अधिक हो।

बता दें कि चीता प्रोजेक्ट की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उच्च स्तरीय बैठक ले चुके हैं। वहीं शिवराज सरकार ने 8 चीतों की मौत के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) जसबीर सिंह चौहान को हटा दिया था और उनकी जगह आईएफएस असीम श्रीवास्तव को ये जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन चीतों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और आज फिर एक चीते की मौत हो गई है। अगर समय रहते सरकार ने इसे लेकर कोई सही कदम नहीं उठाया तो ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा हासिल करने का गौरव कहीं चीतों की मौत से धूमिल न पड़ जाए।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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