मध्य प्रदेश में शराब बंदी के पक्ष में उमा भारती ने भी की अपनी आवाज बुलंद, ट्वीट कर दी अपनी राय

Gaurav Sharma
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में मुरैना जहरीली शराब कांड (Morena Poisonous Alcohol Scandal) होने के बाद से ही प्रदेश में शराब बंदी (Liquor Ban) को लेकर आवाज बुलंद होने लगी है। जहां एक ओर विपक्ष प्रदेश में शराबबंदी (Liquor Ban) करने की बात कर रहा है, वहीं अब भाजपा की वरिष्ठ नेत्री उमा भारती (Uma Bharti, senior BJP leader) ने भी शराबबंदी (Liquor Ban) को लेकर अपनी राय सोशल मीडिया के माध्यम से रखी है। उमा भारती ने मध्यप्रदेश में शराब बंदी करने को लेकर ट्वीट (Tweet) किया है।

उमा भारती (Uma Bharti) अपने ट्वीट में लिखती है कि मध्यप्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के बारे में सरकार ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह जी का यह वक्तव्य अभिनंदनीय है। अपने अगले ट्वीट में उमा भारती लिखती है कि कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय पर लगभग शराबबंदी की स्थिति रही, इससे यह तथ्य स्पष्ट हो गया है कि अन्य कारणों एवं कोरोना से लोगों की मृत्यु हुई किंतु शराब नहीं पीने से कोई नहीं मरा। अभी हाल में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में शराब पीने से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई। सड़क दुर्घटनाओं के अधिकतर कारण तो ड्राइवर का शराब पीना ही होता है। यह बड़े आश्चर्य की बात है कि शराब मृत्यु का दूत है। फिर भी थोड़े से राजस्व का लालच एवं शराब माफिया का दबाव शराबबंदी नहीं होने देता है।

उमा भारती (Uma Bharti) अपने अगले ट्वीट में लिखती है कि अगर देखा जाए तो सरकारी व्यवस्था ही लोगों को शराब पिलाने का प्रबंध करती है। जैसे मां जिसकी जिम्मेदारी अपने बालक को पोषण करते हुए रक्षा करने की होती है। वही मां अगर बच्चे को जहर पिला दे तो, सरकारी तंत्र के द्वारा शराब की दुकाने खोलना ऐसे ही है।

शरबबंदी को लेकर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष से निवेदन करते हुए भाजपा नेत्री आगे लिखती है कि  ‘मैं तो अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी से इस ट्वीट के माध्यम से सार्वजनिक अपील करती हूं कि जहां भी भाजपा की सरकारें हैं उन राज्यों में पूर्ण शराबबंदी की तैयारी करिए। राजनीतिक दलों को चुनाव जीतने का दबाव रहता है। बिहार की भाजपा की जीत यह साबित करती है कि शराबबंदी के कारण ही महिलाओं ने एकतरफा वोट नीतीश कुमार जी को दिये।’

शराबबंदी कहीं से भी घाटे का सौदा नहीं है। शराब बंदी से राजस्व को हुई क्षति को कहीं से भी पूरा किया जा सकता है। किंतु शराब के नशे में बलात्कार, हत्याएं, दुर्घटनाएं छोटी बालिकाओं के साथ दुष्कर्म जैसी घटनाएं भयावह हैं तथा देश एवं समाज के लिए कलंक है। कानून व्यवस्था को मेंटेन करने के लिए हजारों करोड़ रूपये खर्च होते हैं समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए शराबबंदी एक महत्वपूर्ण कदम है इस पर एक डिबेट शुरू की जा सकती है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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