भोपाल।
लोकसभा चुनाव से पहले राजनैतिक सरगर्मियां तेज हो चली है।हर पार्टी जीत के लिए नित नए प्रयास कर रही है। इसी बीच सपा और बसपा ने बड़ा ऐलान किया है। उत्तर प्रदेश के बाद सपा-बसपा ने फैसला किया है कि वह अब एमपी में भी एकसाथ लोकसभा चुनाव लड़ेगी। इसका ऐलान खुद सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमों मायावती ने प्रेस विज्ञप्ति कर किया है।समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश की कुल 29 सीटों में से 3 लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार उतारेगी जबकि बाकी बची 26 सीटों पर बीएसपी के प्रत्याशी होंगे।गठबंधन के ऐलान के बाद कांग्रेस और बीजेपी में हड़कंप मच गया है।लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा का यह गठबंधन बीजेपी-कांग्रेस का कई सीटों पर खेल बिगाड़ सकता है। इसका ज्यादा असर कांग्रेस पर पड़ने की संभावना है। गठबंधन में दोनों दलों ने कांग्रेस को दूर रखा है। इस ऐलान के बाद कांग्रेस में भोपाल से लेकर दिल्ली तक हलचल तेज हो गई है।
दरअसल, उत्तरप्रदेश के बाद सपा और बसपा ने पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश और उत्तराखंड में भी गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। मध्यप्रदेश में सपा तीन सीटों पर और बसपा 26 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। दोनों ही दलों ने इन राज्यों में लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाले गठबंधन में कांग्रेस को दूर रखा है। आज सोमवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी सूचना दी। इस गठबंधन के तहत मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी महज तीन सीटों- बालाघाट, टीकमगढ़ और खजुराहो सीट पर चुनाव लड़ेगी, बाकी सभी सीटों पर बसपा के प्रत्याशी मैदान में होंगे। माना जा रहा है कि सपा को बालाघाट, टीकमगढ़ और खजुराहो की जो तीन सीटें दी गई हैं, वहां उसका ठीकठाक जनाधार है। 2014 लोकसभा चुनाव में बालाघाट और टीकमगढ़ में सपा को बसपा के मुकाबले दोगुने वोट मिले थे। वहीं खजुराहो में दोनों आसपास रहे थे। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले ही एसपी और बीएसपी ने लोकसभा चुनावों के लिए तय कर लिया है कि कौन कौन सी सीटों पर उन्हें लड़ना है।
बता दे कि हाल ही में संपन्न हुए मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी एक सीट और बहुजन समाज पार्टी को दो सीट पर जीत हासिल हुई थी। साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा को 3.79 फीसदी वोट मिले थे। वहीं सपा को 0.74 फीसदी मतों से संतोष करना पड़ा। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा का वोट शेयर 3.79 से बढ़कर 5 फीसदी हो चुका है। विधानसभा चुनाव में दोनों ही दल अलग-अलग लड़े थे, कई सीटों पर सपा-बसपा उम्मीदवारों ने कांग्रेस-बीजेपी के गणित को खराब किया था। बावजूद इसके मध्य प्रदेश में दोनों ही दलों ने कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया है, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाले गठबंधन में कांग्रेस को दूर ही रखा गया है।ऐसे में एक बार फिर लोकसभा चुनाव में बसपा-सपा कांग्रेस बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है।