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Sat, Dec 20, 2025

Makar Sankranti 2025 : जानिए देशभर में कैसे मनाई जाती है मकर संक्रांति, सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी पर्व की शुभकामनाएं

Written by:Shruty Kushwaha
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मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जो सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाया जाता है। ये प्रकृति, फसल और नए जीवनचक्र की शुरुआत का उत्सव है। इस दिन खिचड़ी बनाई जाती है, साथ ही तिल और गुड़ से बनी मिठाई खाने का बेहद महत्व है। आज के दिन गुजरात और राजस्थान सहित कई स्थानों पर पतंग भी उड़ाई जाती है। इसे दक्षिण भारत में पोंगल और पंजाब में लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है, जो फसल कटाई से जुड़ा हुआ पर्व है।
Makar Sankranti 2025 : जानिए देशभर में कैसे मनाई जाती है मकर संक्रांति, सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी पर्व की शुभकामनाएं

Makar Sankranti 2025 : आज मकर संक्राति है। ये हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। यह पर्व पौष मास में तब आता है जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे ‘संक्रांति’ कहा जाता है। भारत जैसे कृषि आधारित समाज के लिए ये नई फसलों की शुरुआत का उत्सव है। इस दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं, जो जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार का भी प्रतीक है।

आज के दिन सीएम डॉ. मोहन यादव ने मंगलकामनाएं देते हुए कहा है कि ‘सूर्योपासन के पावन पर्व मकर संक्रांति की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। प्रकृति पूजन का यह पर्व आप सभी के जीवन में नई ऊर्जा, उल्लास लेकर आए, भगवान सूर्यदेव आपको आरोग्यता और समृद्धि प्रदान करें, यही कामना करता हूँ।’

मकर संक्रांति का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व 

मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो जाता है, अर्थात सूर्य की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर परिवर्तित होती है। उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है, जिससे इस अवधि को शुभ कार्यों के लिए बेहद उपयुक्त माना गया है। इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है।

मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की किरणें सीधी पड़ने लगती हैं, जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। यह परिवर्तन मौसम में बदलाव का संकेत देता है, जिससे कृषि कार्यों में भी परिवर्तन होता है। सर्दियों के बाद गर्मी की शुरुआत होती है, जो नई फसलों के लिए उपयुक्त समय होता है।

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं, जो मकर राशि के स्वामी हैं। इसलिए इस दिन को पिता-पुत्र के संबंधों के सम्मान के रूप में भी देखा जाता है। इसके अतिरिक्त, महाभारत के भीष्म पितामह ने भी सूर्य के उत्तरायण होने पर ही स्वेच्छा से शरीर त्यागा था, जिससे इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है।

देशभर में कैसे मनाया जाता है मकर संक्रांति का उत्सव

  • उत्तर प्रदेश और बिहार : यहां इसे ‘खिचड़ी’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन उड़द दाल और चावल की खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग अर्पित किया जाता है और दान-पुण्य किया जाता है।
  • पश्चिम बंगाल : यहां ‘पौष संक्रांति’ के रूप में मनाया जाता है। गंगासागर में इस अवसर पर विशाल मेला लगता है, जहां श्रद्धालु स्नान और दान करते हैं।
  • तमिलनाडु : यह पर्व ‘पोंगल’ के रूप में चार दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन भोगी-पोंगल, दूसरे दिन सूर्य-पोंगल, तीसरे दिन मट्टू-पोंगल और चौथे दिन कन्या-पोंगल मनाया जाता है। इस दौरान विशेष रूप से खीर बनाई जाती है, जिसे ‘पोंगल’ कहते हैं।
  • महाराष्ट्र: यहां तिल-गुड़ के लड्डू बांटने की परंपरा है। महिलाएं विशेष रूप से साज-श्रृंगार करती हैं और एक-दूसरे को तिल-गुड़ देकर शुभकामनाएं देती हैं।
  • गुजरात : यहां ‘उत्तरायण’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन पतंग उड़ाने की विशेष परंपरा है, जिससे आकाश रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है।
  • पंजाब : यहां इसे ‘माघी’ के रूप में मनाया जाता है। लोहड़ी के अगले दिन माघी मनाई जाती है, जिसमें गन्ने की रस्सी, तिल, गुड़ आदि का विशेष महत्व है। लोहड़ी पर्व मकर संक्रांति से पहले वाली रात को मनाया जाता है और यह पंजाबी समुदाय के लोगों के लिए अत्यंत खास महत्व रखता है।

आज के दिन बनाई जाती है खिचड़ी 

उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रांति को ‘खिचड़ी पर्व’ भी कहा जाता है। इस पर्व पर खिचड़ी बनाने और खाने की परंपरा है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की परंपरा भगवान सूर्य और शनिदेव की कथा से भी जुड़ी हुई है। इसके पीछे और भी कई धार्मिक पौराणिक मान्यताएं हैं।  खिचड़ी दाल, चावल और सब्जियों से मिलकर बनती है, जो संतुलित और पौष्टिक आहार है। सर्दियों में यह शरीर को गर्म और ऊर्जा प्रदान करती है। इसके साथ तिल-गुड़ का सेवन भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन तिल, चावल, दाल और खिचड़ी दान करने का विशेष महत्व है। इसे धार्मिक कार्य और पुण्य प्राप्ति का प्रतीक माना गया है।