भोपाल। मध्यप्रदेश में राजनीतिक दलों की जीत का रास्ता मालवा और निमाड़ से होकर गुजरता है। यहां की सीटों पर जिसके अधिक प्रत्याशी जीत हासिल करते हैं सरकार उसी दल की बनती है। राज्य विधानसभा की एक चौथाई सीटें मालवा निमाड़ में है। जीत की आस लगाए बैठे सियासी दल इस अंचल में सबसे अधिक मेहनत करते हैं। जिसका प्रदर्शन यहां खराब होता है वह सत्ता से बाहर हो जाता है। बीते तीन चुनाव में कांग्रेस यहां अपना खास प्रभाव नहीं छोड़ पाई है। जिसका नतीजा उसको चुनाव में देखने को मिल रहा है।
इन 15 जिले से बनते हैं राजनीतिक समीकरण
मालवा-निमाड़ के 15 जिले विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं। इनमें आलीराजपुर, देवास, धार, इंदौर, झाबुआ, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, उज्जैन, बड़वानी, खंडवा, खरगोन और बुरहानपुर शामिल है। बीते कई सालों से मालवा निमाड़ में भाजपा का कब्जा रहा है। यहां की 66 विधानसभा सीटों में से 56 पर पिछले चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी। जबकि कांग्रेस को सिर्फ नौ सीटों ही हासिल हुईं थी। लेकिन मंदसौर कांड के बाद से भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर देखने को मिल रही है। इसलिए इस बार भाजपा यहां अधिक मेहनत करती नजर आ रही है।
जयस लगा सकती है सेंध
मालवा के आदिवासी बेल्ट पर कांग्रेस जीत का दावा कर रही है। जयस संगठन के नेता डॉ. हीरालाल अलावा को कांग्रेस ने टिकट दिया है। धार के कुक्षी में इस संगठन की अच्छी पैठ है। लेकिन कांग्रेस के पास आदिवासी वोट हासिल करने के लिए कोई बड़ा आदिवासी नेता नहीं है। हालांकि, दूसरे अंचलों में कांग्रेस की अच्छी पकड़ है। महाकौशल में कमलनाथ, ग्वालियार-चंबल में ज्योतिरादित्य सिंधिया, विंध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और मध्य भारत में दिग्विजय सिंह जैसे सरीखे नेता कांग्रेस का मजबूती से मोर्चा संभाले हुए हैं। दूसरी ओर बीजेपी के कैलाश विजयवर्गीय और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इस अंचल में अपना खूंटा गाढ़ रखा है।
कांग्रेस को इस बार किसानों से काफी उम्मीदें हैं। अपने वचन पत्र में भी कांग्रेस ने मालवा में सेंध लगाने के लिए किसानों के कर्ज माफी का ऐलान किया है। मंदसौर कांड से किसानों में भाजपा के खिलाफ नाराजगी है इसी को कांग्रेस कैश कराना चाहती है। बीते साल ही मंदसौर में मारे गए किसानों के परिजनों से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुलाकत भी की थी।