खुद को जनता का सेवक बताने वाले और वैसा ही आचरण करने वाले मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर शुक्रवार को एक बार फिर Toilet की सफाई करते दिखे। इस बार वे उस शासकीय परिसर में सफाई कर रहे थे जहाँ संभाग आयुक्त सहित प्रदेश सरकार के लगभग एक सैकडा दफ्तर हैं जहाँ आईएएस अधिकारी बैठते हैं। खास बात ये है कि इधर मंत्री जी Toilet साफ कर रहे थे उधर उनके सरकारी बंगले के बाहर कुछ सफाई कर्मी धरने पर बैठे थे। इनका कहना था कि इन्हें तीन महीने से वेतन नहीं मिला है।
कभी पांच फीट गहरे नाले से खुद गंदगी निकालना हो, सार्वजनिक शौचालय साफ करना हो या सड़क पर झाड़ू लगाना हो, प्रदेश के ऊर्जा मंत्री बिलकुल नहीं झिझकते। वे कर्मचारियों को फटकारने की जगह खुद सफाई में जुट जाते हैं। शुक्रवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ। ऊर्जा मंत्री जब मोती महल परिसर स्थित संभाग आयुक्त कार्यालय में संभाग आयुक्त एमबी ओझा से मिलने गए तो परिसर में गंदगी देखकर कर्मचारियों से बात करने लगे। कर्मचारियों ने बताया कि यहाँ ना तो झाड़ू लगती है और ना ही तोइलेट साफ होते हैं। कर्मचारियों के मुँह से इतना सुनते ही मंत्री जी ने अफसरों को फोन लगाए और खुद Toilet की सफाई करने जुट गए। उन्होंने खुद ब्रश उठाया और Toilet की गंदगी साफ करने लगे। थोड़ी ही देर में फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुँच गई उसके बाद सफाई कर्मचारी Toilet चमकाने में जुट गए।
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर इधर मोती महल शासकीय परिसर में Toilet की सफाई कर रहे थे उधर कुछ सफाई कर्मी महिला पुरुष उनके शासकीय आवास 38 नंबर बंगले के बाहर धरने पर बैठे थे। करीब 22 सफाई कर्मी मंत्री जी का इंतजार कर रहे थे। इनका नेतृत्व कर रहे लाला राम ने बताया कि ये सभी सफाई कर्मी पिछले तीन महीने से परेशान हैं। नगर निगम आयुक्त संदीप माकिन के निर्देश पर इनका वेतन नहीं दिया गया। उनका कहना था कि यदि कोई बीमार पद जाता है और उसका मेडिकल कुछ दिन बाद देता है तो आयुक्त वेतन काट देते हैं। इसलिए मंत्री जी के पास आये हैं। और जब तक मुलाकात नहीं होती वे बंगले के बाहर ही बैठे रहेंगे।
गौरतलब है कि जिस मोती महल शासकीय परिसर में मंत्री जी ने Toilet साफ किया है वहाँ 100 से अधिक शासकीय कार्यालय लगते हैं उनमें से कुछ प्रदेश स्तर के कार्यालय हैं जैसे, आबकारी , परिवहन आदि। संभाग आयुक्त का कार्यालय भी यहीं हैं। ज्यादातर बड़े कार्यालयों में आई ए एस स्तर का अधिकारी मुखिया है बावजूद इसके सफाई व्यवस्था के हालात बहुत कुछ बयान करते हैं। इससे पता चलता है कि या तो ये वरिष्ठ अधिकारी सफाई को लेकर गंभीर नहीं हैं या फिर नगर निगम के अफसर इनको इग्नोर करते हैं।