नई दिल्ली।
देश में स्वास्थ्यकर्मियों पर लगातार हो रहे हिंसा के बीच केंद्र सरकार द्वारा महामारी रोग अधिनियम 1897 में संशोधन कर स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए कड़े अध्यादेश लाए गए है। जहां दोषी पाए जाने वालों को 6 महीने से 7 साल तक की कैद की सजा हो सकती है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि सरकार उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी जो डॉक्टरों पर हमला करेंगे और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से गलत बर्ताव करेंगे। उन्होंने कहा कि अध्यादेश के माध्यम से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ अपराधों को “गैर-जमानती अपराध” बनाया गया है। नए कानून के तहत ऐसे मामलों में जांच समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी। जावड़ेकर ने कहा कि इस तरह के अपराध अब संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे। जांच 30 दिनों में की जाएगी। इसके बाद आरोप सिद्घ होने पर अभियुक्त को 3 महीने से 5 साल की सजा हो सकती है और 50 हज़ार रुपये से 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं बेहद हिंसक मामलों में आरोपी को छह महीने से लेकर सात साल तक की जेल हो सकती है।
जावड़ेकर ने कहा कि जो स्वास्थ्य कार्यकर्ता इस महामारी से देश को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। वे दुर्भाग्य से हमलों का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ हिंसा या उत्पीड़न की कोई घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एक अध्यादेश लाया गया है। इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा। जावड़ेकर ने कहा कि अगर स्वास्थ्यकर्मियों के वाहनों या क्लीनिकों को नुकसान होता है तो क्षतिग्रस्त संपत्ति के बाजार मूल्य का दोगुना मुआवजा आरोपियों से वसूला जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य ब्रीफिंग अब सप्ताह में चार दिन तक कम हो जाएगी जबकि प्रेस विज्ञप्ति और कैबिनेट ब्रीफिंग वैकल्पिक दिनों पर आयोजित की जाएगी। उन्होंने मीडिया को यह भी बताया कि देश में देशव्यापी बंद के बीच उड़ान संचालन को फिर से शुरू करने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।