Monsoon session of MP Assembly adjourned sine die : मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। मानसून सत्र 5 दिन तक चलना था लेकिन दो दिन में ही खत्म हो गया। आज दूसरे दिन सदन में भारी हंगामे और शोर शराबे के बीच अनुपूरक बजट पारित हो गया।
कांग्रेस ने आदिवासी उत्पीड़न पर स्थगन मांगा था जो नहीं मिला और इसके बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि सीएम शिवराज सिंह चौहान विपक्ष की बात नहीं सुन रहे हैं और सत्र चलने नहीं दे रहे हैं। उन्होने कहा कि जब तक सरकार स्थगन लाकर आदिवासियों के मुद्दे पर चर्चा नहीं कराएगी, विपक्ष सदन की कार्यवाही चलने नहीं देगा। इसी के बाद भारी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि ये विधानसभा का अंतिम सत्र था और विपक्ष इन 5 दिनों में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करना चाहती थी। लेकिन दूसरे दिन कुछ ही घंटों बाद कार्यवाही स्थगित कर दी गई। उन्होने कहा कि बीजेपी सरकार की मंशा ही नहीं थी कि सत्र चले।
उन्होने कहा कि कांग्रेस आदिवासियों पर अत्याचार और उत्पीड़न को लेकर स्थगन प्रस्ताव लाना चाहती थी, अगर सरकार स्थगन के लिए तैयार नहीं थी तो चर्चा के लिए तैयार हो जाती। लेकिन बीजेपी सरकार तो किसी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार नहीं हुई। विपक्ष महाकाल घोटाला, भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी समेत तमाम मुद्दे उठाना चाहता था लेकिन विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। उन्होने कहा कि बीजेपी के पास किसी सवाल का जवाब नहीं है इसीलिए उसने सदन चलने नहीं दिया।
इस बारे में कमलनाथ ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मुझे इस बात कि पूरी आशंका थी कि महाकाल लोक में हुए भ्रष्टाचार, सतपुड़ा का प्रायोजित अग्निकांड, महंगाई बेरोज़गारी, ध्वस्त हो चुकी क़ानून व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर सदन में बहस करने का सरकार में नैतिक साहस नहीं है। सरकार गंभीर मुद्दों पर सदन का सामना करना तो दूर, अब प्रदेश का सामना करने में असफल और अक्षम साबित हो गई है। जबकि हर वर्ग परेशान है, आक्रोशित और व्यथित है। इन सबसे अलग सरकार ने प्रायोजित तरीक़े से कुछ ही घंटों में सदन के इस आख़िरी सत्र का समापन कर संविधानिक मूल्यों का मखौल उड़ाया है। अब हम सड़कों पर इनके विरुद्ध संघर्ष करेंगे।