भोपाल| मध्य प्रदेश में ‘वक्त है बदलाव’ का नारा लेकर 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस सरकार इन दिनों एक ही काम को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में है और वो है तबादले| मुख्यमंत्री के तौर पर कमलनाथ के शपथ लेने के बाद सरकार की तबादला एक्सप्रेस ने जो रफ़्तार पकड़ी तो आज तक यह एक्सप्रेस निरंतर दौड़ रही है| रोजाना सूचियां जारी हो रही है, सैंकड़ों अधिकारियों को इधर से उधर किया गया है और आगे भी यह क्रम जारी रहने वाला है| हद तो तब हो गई जब एक ही अधिकारी का कई बार तबादला कर दिया गया, जिससे मामला राजनीतिक तूल भी पकड़ा और शंका भी हुई, क्यूंकि विपक्ष ने इसे तबादला उद्योग कहा है| तबादला को लेकर अब तक अधिकारी-कर्मचारी और भाजपा नेता ही सवाल उठा रहे थे अब कांग्रेस के अंदर ही इसको लेकर घमासान शुरू हो गया|
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चाचौड़ा विधायक लक्ष्मण सिंह ने तबादले को लेकर सवाल उठाये हैं| उन्होंने कहा है कि पहले भी ट्रांसफर होते थे, लेकिन ट्रांसफर होने के बाद इस पर प्रतिबन्ध लग जाता था| निरंतर तबादले नहीं किये जाते थे| तबादलों से प्रशासनिक व्यय होता है, और प्रदेश पहले से ही कर्ज में है, ऐसी स्तिथि में खर्चे बचाना चाहिए| तबादलों से खर्च का बोझ सरकार पर बढ़ता है| कई करोड़ सरकार तबादलों पर खर्च कर चुकी है| उन्होंने कहा कि तबादलों को सिर्फ एक माह के लिए खोलना चाहिए फिर इस पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए, ताकि सरकार पर इसका अधिभार न पड़े| वहीं उन्होंने एक ही अधिकारी के बार बार तबादले और आदेश जारी होने के बाद तबादले निरस्त होने पर भी सवाल उठाये| उन्होंने कहा ऐसा नहीं होना चाहिए इससे संदेह होता है, कहीं कोई लेनदेन तो नहीं हुआ और विपक्ष को भी सरकार पर आरोप लगाने का मौका मिलता है|
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में ताबड़तोड़ तबादलों का दौर चल रहा है| सैकङों की संख्या में अधिकारी कर्मचारी बदले जा चुके हैं| जिसको लेकर बीजेपी ने भी सरकार पर तबादला उद्योग चलाने के आरोप लगाए हैं| भाजपा का कहना है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था चरमरा गई है और सरकार सिर्फ तबादलों में व्यस्त है| कई अधिकारियों के तबादले सुर्ख़ियों में भी रहे जिन्हे राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण हटाया गया| इसको लेकर सरकार निशाने पर है, वहीं कांग्रेस विधायक ने भी इस तरह तबादले किये जाने को लेकर बयान दिया है जिससे एक बार तबादलों को लेकर सियासत गरमा गई है|