KK Mishra’s allegations on BJP : कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि देवास जिले की सतवास नगर परिषद में मुख्यमंत्री के दबाव में कलेक्टर ने अवैध रूप से एक वोट से कांग्रेस को हरवाया। इसे लेकर पार्टी ने मोबाइल पर मुख्यमंत्री और भाजपा जिलाध्यक्ष के बीच हुई कथित रूप से हुई बातचीत का वीडियो भी जारी किया है। इसी के साथ उसने विधानसभा चुनाव से पहले देवास कलेक्टर को तत्काल हटाने की मांग की है।
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने मंगलवार को देवास जिले की सतवास नगर परिषद के सम्पन्न उपचुनाव को लेकर बीजेपी पर आरोप लगाया है। उन्होने कहा कि कांग्रेस द्वारा घोषित प्रत्याशी अरविंद (लाला) पटेल को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दबाव में एक वोट से हराया गया। अपने इस आरोप को साबित करने के लिए केके मिश्रा ने देवास जिला भाजपा के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के बीच कथित रूप से मोबाइल फोन पर हुई सार्वजनिक चर्चा का एक वीडियो भी जारी किया है। इस वीडियो में भाजपा जिला अध्यक्ष कलेक्टर और निर्वाचन अधिकारी एक महिला तहसीलदार को मुख्यमंत्री से निर्देश दिए जाने की आग्रह करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने आशंका जाहिर की कि जब एक छोटे चुनाव में मुख्यमंत्री का यह स्वरूप सामने आ रहा है, तब विधानसभा चुनाव के दौरान निष्पक्ष और निर्भीक मतदान की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
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केके मिश्रा ने कहा कि इस नगर परिषद के उपचुनाव पुरी तरह कांग्रेस के पक्ष में थे, क्योंकि लगभग 40 साल बाद पिछले दिनों हुए एक पार्षद पद का चुनाव परिणाम पूर्व मुख्यमंत्री स्व.कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी के प्रयासों से कांग्रेस के पक्ष में आया था। जिसकी निर्णायक भूमिका होने के कारण नगर परिषद में कांग्रेस का कब्जा होना सुनिश्चित था। लेकिन मंगलवार को सम्पन्न मतदान में एक मतदाता ने अपने मतपत्र पर तीन सील लगाकर मतदान किया था जो नियमानुसार रद्द होना था। इस दौरान मतगणना अधिकारी ने राजनीतिक दबाव में आकर कांग्रेस की वैधानिक आपत्ति को भी खारिज कर दिया। हालांकि मतगणना के दौरान निर्वाचन अधिकारी महिला तहसीलदार ने उसे नियम विरूद्ध बताकर अपनी वैधानिक सहमति का सार्वजनिक इज़हार भी कर दिया था, लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि मुख्यमंत्री द्वारा जिला कलेक्टर ऋषभ गुप्ता को किए गए अवैधानिक निर्देश के बाद कलेक्टर ने मतगणना अधिकारी पर दबाव बनाकर उस मतपत्र को न केवल रद्द होने दिया, बल्कि भाजपा प्रत्याशी बलवीर कौर को विजयी भी घोषित करवा डाला।
उन्होने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया को मुख्यमंत्री के दबाव के बाद कलेक्टर ने अवैधानिक रूप से सम्पन्न करवाकर भाजपा के पक्ष में निर्णय करवाया है, जो निर्वाचन के नियमों के भी विरूद्ध है। लिहाजा, निर्वाचन आयोग कलेक्टर के विरूद्ध कानून के मुताबिक आदेश पारित करें। उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी आशंका जाहिर करते हुए कहा कि यदि निर्वाचन प्रक्रिया में इस तरह के नियम विरूद्ध निर्देश जारी किए जाते रहे और जिला कलेक्टर व निर्वाचन अधिकारी उनका अमल करते रहे तो समूचे प्रदेश में निष्पक्ष निर्वाचन असंभव है।
About Author
श्रुति कुशवाहा
2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।