भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के अलीरापुर में महिला को पेड़ से बाँधकर पीटने, धार में लड़कियों को बाल से घसीटने और भोपाल में विचाराधीन बंदी की जेल अभिरक्षा में इलाज के दौरान मृत्यु समेत तीनों मामलों को मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान में लिया है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने तीनों मामलों में स्वसंज्ञान लेकर संबंधितों से समय-सीमा में जवाब मांगा है।आयोग ने धार-अलीराजपुर एसपी और भोपाल डीआईजी से 3 हफ्तों में जवाब मांगा है।
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दरअसल, पहला मामला अलीराजपुर से 50 किमी दूर बोरी थाने के बड़े फुटतालाब गांव का है। घटना 28 जून को शाम 5 बजे हुई, लेकिन इसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें 19 वर्षीया महिला को पेड से लटकाया गया है, उसका जुर्म सिर्फ इतना था कि मजदूरी के लिये पति के गुजरात जाने के बाद वह घर में किसी को बताये बिना ही अपने मामा के यहां आंबी गांव चली गई थी। इसी से नाराज होकर पिता और भाई उसे मामा के घर से लाये और फिर बडी बेरहमी से उसे पीटा। पहले सडक पर फिर पेड पर लटकाकर लकडी से पीटा।
हालांकि वीडियो के वायरल (VIDEO VIRAL) होने के बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इस गंभीर मामले में त्वरित संज्ञान लेकर मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, अलीराजपुर (Alirajpur SP) से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। आयोग ने पुलिस अधीक्षक, अलीराजपुर से मामले की FIR की कॉपी, मेडिकल रिपोर्ट एवं प्रिस्क्रिप्शन, जांच की अद्यतन स्थिति आदि की जानकारी भी प्रतिवेदन के साथ ही तलब की है।
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दूसरा मामला धार जिले के टांडा का है, यहां एक ही परिवार की दो लडकियों के फोन पर बात करने से नाराज परिजनों ने उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी। इतना ही नहीं किसी ने बाल पकडकर घसीटा तो किसी ने थप्पड मारे। घटना 22 जून की है। वीडियो वायरल हुआ तो रविवार को पुलिस ने 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जाता है कि पीपलवा गांव की ये लडकियां अपने मामा के लडके से फोन पर बात करती थीं। इससे परिजन नाराज थे। परिजनों ने उन्हें तालाब के किनारे फोन पर बात करते हुये पकड लिया था। मामले में त्वरित संज्ञान लेकर मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, धार (Dhar SP) से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
वही तीसरा मामला भोपाल जिले के बैरसिया थाना इलाके का है।यहां 6 दिन पहले संदिग्ध परिस्थितियों में बाईक से गिरकर घायल हुई एक महिला की बीते गुरूवार की शाम एक निजी अस्पताल में मौत हो गई। इस मामले में परिजनों ने सीएम हेल्पलाईन में शिकायत की। सीएम हेल्पलाईन में हुई शिकायत के अनुसार मछली चोरी के शक में पीछा कर रहे पुलिसकर्मियों ने बाईक में लात मार दी थी। इससे चलती बाईक से गिरकर महिला गंभीर रूप से घायल हो गई थी। पीडित महिला गुड्डो बी पत्नी शफीक खान की इलाज के दौरान मौत हो गई। उसके बेटे शानू को भी गंभीर चोट लगी थी। मामले में त्वरित संज्ञान लेकर मानव अधिकार आयोग ने उप पुलिस महानिरीक्षक, भोपाल (DIG, Bhopal) से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
मृतक बंदी के अधिकारों का हुआ हनन
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने जेल में बंद विचाराधीन बंदी आशुतोष पिता रामचंद्र की उपचार के दौरान मृत्यु हो जाने से उसके जीवन के अधिकार, सुरक्षा के अधिकार का हनन होना पाया। मामले में आयोग ने सतत् सुनवाई उपरांत जेल विनियम 178(क) के निर्देशानुसार जेल अभिरक्षा में बंदियों का चिकित्सक के रैफरल के अनुसार तत्काल एवं निश्चित समय सीमा में उपचार करवाने की अनुशंसा राज्य शासन को की है। मामला इन्दौर जिले का है। आयोग के प्रकरण क्रमांक 0010/इन्दौर/2018 के अनुसार केन्द्रीय जेल, इन्दौर में बंद विचाराधीन बंदी आशुतोष की एमवायएच अस्पताल, इन्दौर में उपचार के दौरान 26 दिसम्बर 2017 को मृत्यु हो गई। समय पर उपचार न मिलने से मृतक बंदी आशुतोष के मानवीय अधिकारों का घोर हनन हुआ।
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अपनी अनुशंसा में मानव अधिकार आयोग ने यह भी कहा है कि जेलर और जेल अधीक्षक और जेल अधिकारी बीमार बंदी के चिकित्सक द्वारा जिला चिकित्सालय और हायर ट्रीटमेंट सेंटर रेफर करने पर सुरक्षा कारणोें से पुलिस बल की मांग करते हैं, तो उनकी जवाबदारी सुनिश्चित की जाये कि लिखित मांगपत्र के साथ-साथ रक्षित निरीक्षक को भी स्वयं सूचित करेंगे और पुलिस बल प्राप्त करेंगे। बीमार बंदी के उपचार के लिये संबंधित जिले के रक्षित निरीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक से जेल अधीक्षक द्वारा बल की मांग आने पर वैधानिक दायित्वों के निर्वहन के अन्तर्गत शीघ्र बल नियमानुसार प्रदाय किया जाये।
इन मामलों पर भी विचार करें
अभिरक्षा में बंदियों की पेशी या उपचार के लिये बल की मांग और प्रदाय करने की सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिये एवं यथोचित समन्वय के लिये सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ लेते हुये साॅफ्टवेयर विकसित किया जाये, जिसके माध्यम से मुल्जिम पेशी एवं उपचार की आवश्यकता की सूचना का आदान-प्रदान त्वरित हो और सामयिक जानकारी संबंधित जेल अधीक्षक, जेल चिकित्सक, जेलर, उप जेल अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक, रक्षित निरीक्षक एवं संबंधित थाना प्रभारी को हो सके। मानव अधिकार आयोग ने यह भी कहा है कि राज्य शासन बंदियों के जिला चिकित्सालय या हायर ट्रीटमेंट सेंटर पहुंचाने और वापस जेल लाने के लिये जेलर, जेल उप अधीक्षक एवं रक्षित निरीक्षक के बल उपलब्धता के वैधानिक दायित्व जेल एवं पुलिस विनियम में स्पष्ट प्रावधान करने पर भी विचार करे।