जबलपुर| जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए अश्विनी कुमार का अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में किया गया। उनके बड़े भाई सुमंत लाल ने उन्हें मुखाग्नि दी। शहीद को अंतिम विदाई ने लिए हजारों की संख्या में लोग उमड़े| आँखों में आंसू दिल में दर्द और जुबान पर बदले की बात हर तरफ सुनाई दी| हजारों लोगों ने नम आंखों से अश्वनी को विदाई दी| वही प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहन भी अश्वनी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे| उन्होंने शहीद को नमन किया। उनके साथ वित्तमंत्री तरुण भनोट और उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी भी शामिल हुए। इसके पहले अंतिम यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कंधा दिया। हजारों लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए। शहीद को कंधा देने वालों की होड़ लगी थी।
इससे पहले दोपहर को शहीद अश्विनी कुमार का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव खुड़ावल लाया गया| जिस वाहन में जवान के शव को लाया गया उसके साथ सैंकड़ों वाहनों का काफिला भी गांव पहुंचा| सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा के बाद परिजनों को शहीद अश्विनी का चेहरा दिखाया गया। माता-पिता और अन्य परिजनों ने अपने उस लाल के दर्शन किए जिसने भारत मां के लिए अपनी जान न्यौछावर की। इस दौरान मौजूद सभी लोगों की आंखे नम हो गई। मां ने भी जी भर के अपने बेटे को निहारा और फिर उसे अंतिम विदाई दी गई| सीआरपीएफ की टुकड़ी ने अपने साथी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई कैबिनेट मंत्री, विधायक प्रदेश के बेटे की शहादत को सलाम करने के लिए पहुंचे। बह से ही शहीद के घर के बाहर लोगों का तांता लगा रहा। पूरा गांव अपने बेटे को विदाई देने के लिए पहुंचा। छोटे-छोटे बच्चे शहीद को सलामी देने के लिए तिरंगा लेकर बैठे दिखाई दिए।
अश्विनी का पार्थिव शरीर कटनी के झुकेही से होते हुए सड़क मार्ग जबलपुर के सिहोरा इलाके के खुडावल ग्राम के लिए निकला| इससे पहले कटनी पुलिस लाइन पर पुलिस कर्मियों समेत शहर के लोगो ने शहीद अशिवनी को श्रद्धाजंलि दी| श्रद्धाजंलि के बाद CRPF का वाहन जबलपुर के सिहोरा के लिए रवाना किया गया| सिहोरा पहुँचते ही वाहनों का काफिला शहीद जवान के वाहन के आगे और पीछे चला| रास्ते भर लोगों ने भारत माता की जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए| सुबह से ही शहीद के घर के बाहर लोगों का तांता लगा है। पूरा गांव अपने बेटे को विदाई देने के लिए पहुंचा हुआ है। छोटे-छोटे बच्चे शहीद को सलामी देने के लिए तिरंगा लेकर बैठे हुए रहे|
शादी के लिए लड़की देख रहे थे घरवाले, तिरंगे में लिपटा घर आया बेटा
पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ की 35 बटालियन में पदस्थ अश्वनी कुमार काछी की शहीद होने की खबर जैसे ही गाँव मे पहुँची वैसे ही पूरे गाँव सहित जबलपुर में शोक की लहर दौड़ गई। सुकरू काछी ने बेटे की शहादत की खबर सुनने के बाद भी अपना हौसला बनाए रखा। उन्होंने पत्नी कौशल्या और बेटों को अश्वनी के शहीद होने की खबर दी। फिर खुद को सम्भालते हुए परिवार का हौसला भी बढ़ाने लगे। इस कायराना हमले को लेकर परिवार सहित पूरा गांव आक्रोशित है। पुलवामा में शहीद अश्वनी सुकरू की पांच संतानों में अश्वनी सबसे छोटे थे। उनसे बड़े सुमंत, अनिल, अवधेश और बेटी ललिता हैं। अश्विन अविवाहित था और उड़के विवाह की बात चल रही थी। अश्विन आखिरी बार नवरात्रि में आए थे। अश्विनी के पिता ने कहा कि हम उसके लिए दुल्हन ढून्ढ रहे थे, लेकिन अब बेटा तिरंगे में लिपटा आ रहा है| वहीं गांव के युवाओं का कहना है इस गांव के हमेशा देश की रक्षा के लिए तत्पर रहे हैं और आगे भी रहेंगे| सभी ने वीर अश्विनी की शहादत को सलाम किया|
सरकार ने एक करोड़ की सहायता राशि का किया ऐलान
राज्य शासन ने शहीद के परिजन को एक करोड़ रुपए की राहत राशि, एक मकान और परिवार के एक व्यक्ति को शासकीय नौकरी देने की घोषणा की है। शहीद अश्विन कुछ साल पहले ही सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। सिहोरा के खूडावल गाँव जहा के 90 प्रतिशत युवा सेना में भर्ती है और देश की सेवा करने का भाव बचपन से ही खुडावल गाँव के युवाओं में रहता है। शहीद अश्विन को भी सेना में जाकर देश की सेवा करने का जज़्बा था|