OBC आरक्षण का मामला, MP हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती, सरकार को दिया आखिरी मौका, 2 हफ्ते में मांगा जवाब, वरना लगेगा जुर्माना

2 अप्रैल को ओबीसी आरक्षण मामले में 11वीं सुनवाई हुई। अब तक सरकार का जवाब नहीं आया। मामले को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है।

MP OBC Reservation: मध्यप्रदेश ओबीसी आरक्षण मामले में बड़ी अपडेट सामने आई है। जबलपुर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया गया है। इसके बावजूद यदि एमपी शासन की प्रतिक्रिया सामने नहीं आती है, तो कार्रवाई होगी।

दरअसल, एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस नामक संस्था द्वारा दायर याचिका में OBC को आबादी के हिसाब से 51% आरक्षण देने की माँग की गई है। इस मामले में अब हाईकोर्ट 11 बार सुनवाई कर चुका है। लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। न ही याचिका को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की याचिका दायर की गई है। अब तक पेश किए तर्कों को ध्यान में रखते हाईकोर्ट ने यह कदम उठाया है।

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15 हजार का जुर्माना लगेगा

एमपी सरकार को इस मामले में जवाब दायर करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि इसके बाद भी कोई जवाब नहीं आता है तो शासन पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा?

2 अप्रैल को इस मामले को चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और विवेक जैन की बेंच ने 11वीं बार सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर वरिष्ठ आधिवक्ता रामेश्वर सिंह और विनायक प्रसाद प्रसाद ने पक्ष रखा। उन्होनें दलील दी की  2011 की जनगणना के हिसाब से प्रदेश में 50.9% ओबीसी, 15.6% एससी, 21.14% एसटी, 3.7% मुस्लिम और 8.66% अनारक्षित वर्ग की आबादी है। वहीं सरकार ने एससी को 16%, एससी को 20%, ओबीसी को 14% और जनरल को 10% आरक्षण दिया है, जो ओबीसी वर्ग के लोगों के साथ न्याय है। जिसके कारण युवाओं को भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।


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Manisha Kumari Pandey

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