MPPSC : जबलपुर हाईकोर्ट ने खारिज की छात्रों की याचिका, 15 मार्च को ही होगी सुनवाई

Pooja Khodani
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जबलपुर हाईकोर्ट

जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhy Pradesh) की जबलपुर हाई कोर्ट (Jabalpur High Court) ने MPPSC प्रारंभिक परीक्षा 2019 की भर्ती प्रक्रिया मामले में 15 मार्च से पहले सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। आज शनिवार को हाईकोर्ट ने छात्रों (Student) की जल्द सुनवाई करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अब 15 मार्च को ही एक साथ सभी याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई की जाएगी हाईकोर्ट के इस फैसले से छात्रों को बड़ा झटका लगा है।

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दरअसल, MPPSC प्रारंभिक परीक्षा 2019 की भर्ती प्रक्रिया मामले में छात्रों ने याचिका लगाई थी कि जल्द सुनवाई की जाए, क्योंकि PSC मुख्य परीक्षा 22 मार्च से है। अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह की तरफ से दायर किये गये आवेदन में कहा गया था कि मुख्य परीक्षा का आयोजन 22 मार्च को होना है। लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए जल्द सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि 15 मार्च से पहले सुनवाई नहीं होगी। इस मामले में  राज्य मप्र लोक सेवा आयोग (MP Public Service Commission-MPPSC) और शिवराज सरकार (Shivraj Government) को 15 मार्च तक जवाब देने की मोहलत दी गई है।

बता दे कि पिछली सुनवाई में जबलपुर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई थी और राज्य सरकार और एमपीपीएससी (MPPSC) से कहा था कि अगर राज्य सरकार और एमपी-पीएससी (PSC) मामले पर जवाब नहीं देते हैं तो वो 2019 पीएससी की पूरी भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जा सकती है। अब 15 मार्च को इससे जुड़ी सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जाएगी। इसके लिए इंदौर (Indore) खंडपीठ से 29 याचिकाओं को सुनवाई के लिए मुख्य पीठ में भेज दिया गया है। वहीं छह याचिकाएं मुख्य पीठ जबलपुर में दायर की गई थी। हाईकोर्ट (Highcourt) ने राज्य शासन (State Government) व पीएससी (PSC) को साफ निर्देश दिया था कि जिन याचिकाओं में जवाब पेश नहीं किया गया, उनमें अगली सुनवाई तक जवाब पेश किया जाए।

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गौरतलब है कि MPPSC प्रारंभिक परीक्षा 2019 में आरक्षण (Reservation) प्रावधानों का पालन ना होने पर हाईकोर्ट में 6 याचिकाएं दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि MPPSC 2019 की प्रिलिम्स (MPPSC 2019 Prelims) यानि प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया है। परीक्षाओं में ST वर्ग को 20 प्रतिशत, SC को 16 प्रतिशत,OBC को 27 प्रतिशत, EWS को 10 प्रतिशत जबकि अनारक्षित वर्ग को 40 प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया है, जिससे आरक्षण का कुल प्रतिशत 113 फीसदी हो गया है, जो कि नियमों के विरुद्ध है।


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