भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना (Corona) और मंहगाई की मार झेल रहे आम आदमी के लिए बुरी खबर है। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में एक बार फिर यात्री बसों (Bus Strike) पर ब्रेक लगने वाला है। किराया ना बढ़ाने से नाराज बस संचालक (Bus operator) 1 मार्च से हड़ताल (Bus Operator Strike) पर जाने की तैयारी कर रहे है। प्रदेश के करीब 13 हजार बस संचालकों ने हड़ताल(Strike) की चेतावनी दी है।वही सीधी हादसे को लेकर 26-27 फरवरी को भी हड़ताल (Strike) का ऐलान किया गया है।
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दरअसल, आज भोपाल (Bhopal) और जबलपुर (Jabalpur) में बस ऑपरेटर एसोसिएशन (Bus operator association) की बड़ी बैठक हुई। जबलपुर बैठक में बताया गया कि लगातार पेट्रोल-डील की बढ़ती कीमतों (Petro-Diesel Price Hike) के चलते खर्च उठाना मुश्किल हो गया है। संचालकों का कहना है कि जब डीजल(Diesel) 58 रुपए प्रति लीटर बिक रहा था तब बसों (Bus Strike) का किराया निर्धारित किया गया था, लेकिन आज दाम 90 रुपए लीटर हो गए हैं, बावजूद इसके किराया नहीं बढ़ाया गया है। पुरानी दरों में खर्चा निकालना मुश्किल हो रहा है।
बस ऑपरेटरों का कहना है कि पिछले 6 महीने में तीन बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (Transport Minister Govind Singh Rajput) से चर्चा के बावजूद कुछ हल नहीं निकला है। डीजल की बढ़ती कीमतों के बाद भी सरकार तीन साल से किराया वृद्धि नहीं कर रही है।सरकार (MP Government) 10 साल में किसी भी मार्ग पर फ्रीक्वेंसी तय नहीं कर पाई है। आरटीओ असफर दो-दो मिनट के अंतराल पर परमिट जारी कर रहे है।
इतना ही सभी ऑटो पार्ट्स टायर के अलावा अन्य खर्चे भी बढ़ने से बस व्यवसाय घाटे में जा रहा है और कई बस संचालक तो कर्ज में डूबने के कारण आत्महत्या (Suicide) तक कर चुके हैं। अगर आने वाले दिनों में कोई समाधान नहीं निकला तो सभी बस संचालक 1 मार्च से हड़ताल(Strike) पर चले जाएंगे, जिसकी जिम्मेदारी सरकार और विभाग की होगी।
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वही भोपाल में हुई बैठक में संचालकों ने सीधी बस हादसे (Sidhi Bus Accident) में पूरी गलती सीधी और सतना प्रशासन (Sidhi And Satna Administration) और पुलिस (Sidhi And Satna Police) की थी, बावजूद इसके वे अपनी गलती छुपाने के लिए बस संचालकों पर ठीकरा फोड़ रहे है।इसको लेकर मध्य प्रदेश के बस संचालकों ने 26 और 27 फरवरी को हड़ताल (Strike) का ऐलान किया है।
बस संचालकों का कहना है कि सतना में परीक्षा (Exams) थी तो जिला कलेक्टर को मालूम होना चाहिए था कि इस मार्ग से होकर कौन कौन से बसे चलती है और आसपास के जिलों का एकमात्र सेंटर सतना है इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी। बस संचालक प्रदेश के राजस्व का मुख्य हिस्सा है और एकमात्र ऐसा व्यवसाय है जो सरकार को एडवांस टैक्स देकर अपना धंधा करता है, बावजूद इसके प्रशासन ऐसा कर रहा है।