ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कांग्रेस को अलविदा कह बीजेपी से राज्यसभा सांसद बने ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya scindia) प्रशासन के लिए श्रीमंत हैं। यह हम नहीं बल्कि खुद ग्वालियर के जिला कलेक्टर द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति बता रही है जिसमें सिंधिया के नाम के आगे ‘श्रीमंत’ लिखा है।
कभी जिन ज्योतिरादित्य का महाराज और श्रीमंत नाम से पुकारा जाना बीजेपी को नागवार गुजरता था, अब उसी के नुमाइंदे सिंधिया के नाम के आगे श्रीमंत लगा रहे हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं ग्वालियर जिला कलेक्टर के द्वारा जारी की गयी प्रेस विज्ञप्ति की, जिसमें सिंधिया के नाम के आगे श्रीमंत लिखा है। अब जरा छह साल पहले की एक घटना को याद कर लेते हैं। अशोकनगर जिले के प्रभारी बीजेपी के कद्दावर नेता जय भान सिंह पवैया थे और सिंधिया तब लोकसभा से उस क्षेत्र के सांसद। अशोकनगर जिले में एक शिलान्यास समारोह में अधिकारियों ने सिंधिया के नाम के आगे श्रीमंत क्या लिख दिया, पवैया आग बबूला हो गए। उन्होंने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई और तत्काल शिलान्यास स्थल से श्रीमंत लिखे हुए सिंधिया के नाम को केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया कराया। पवैया का तो सिंधिया परिवार से विरोध ही इस बात पर था कि सिंधिया अपने नाम के आगे महाराज या श्रीमंत जैसे शब्द क्यों लगाते हैं।
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे प्रभात झा ने भी जब इस बात को लेकर आपत्ति की थी तो उन्हीं की पार्टी की नेता और सिंधिया परिवार की सदस्य यशोधरा राजे ने कहा था कि प्रभात झा को इतिहास की समझ नहीं है। श्रीमंत राजशाही से जुड़ा नहीं बल्कि मराठों को दी गई एक उपाधि है। हालांकि खुद सिंधिया मंच से कई बार कह चुके हैं कि उन्हें महाराज या श्रीमंत के नाम से संबोधित ना करें और अब अक्सर बीजेपी में आने के बाद उनके समर्थक कई बार इन शब्दों का प्रयोग नहीं भी करते। लेकिन जिला प्रशासन के आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में इस नाम का प्रयोग यह बताता है कि अब बीजेपी में आने के बाद सरकार चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं, बल्कि श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया है।