MPPSC 2019: हाल ही में राज्य सेवा परीक्षा 2019 के दूसरे चरण प्रमुख परीक्षा को रद्द कर दिया है। बार-बार परीक्षाओं के आयोजन में बाधा आ रही है। अब 2022 में हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले के खिलाफ एमपी हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की गई है। आकाश पाठक सहित अन्य कई लोगों ने जजमेंट के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बता दें की 13 दिसंबर 2022 को इसका फैसला सुनाया गया था, जिसके खिलाफ दर्जनों याचिका अब दायर की गई है। याचिकर्ताओं की पैरवी एडवोकेट विभोर खंडेलवाल कर रहे हैं।
याचिककर्ताओं ने यह कहा
रिमेंस के पक्ष में तर्क रखते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि “क्योंकि हाईकोर्ट ने राज्य सेवा आयोग 2019″ प्रारम्भिक परीक्षा के असंवैधानिक रिजल्ट पहले ही घोषित कर दिए जा चुके हैं। जिसके बाद मुख्य परीक्षा निरस्त हो जाती है। एक ही भर्ती के लिए दो अलग-अलग परीक्षाओं का आयोजन नहीं किया जा सकता है, यह अधिकारों का उल्लंघन है।” याचिकाकर्ताओं के मुताबिक मेंस परीक्षा के परिणाम आ चुके हैं। यदि इसके बाद भी यदि अतिरिक्त परीक्षा होती है तो प्राइवसी को भंग करना है। बीच में परीक्षा के नियम बदलना भी सही नहीं है। साथ ही 13 जनवरी 2023 को जारी किये गए पुनरीक्षित परिणामों के कट ऑफ पर भी सवाल उठाए गए। 2015 के सिविल सर्विक्र नियम के आधार पर केवल 100 प्रतिशत के साथ रिजल्ट्स जारी करना सही है, लेकिन उसमें प्रावधिक सूची बनाने का कोई प्रवधान नहीं है।
यह है मामला
दरअसल, 10 अक्टूबर 2022 को एमपी पीएससी 2019 के प्रिलीम्स परीक्षा के परिणाम घोषित हुए थे। जिसके बाद आयोग ने सबकी मुख्यपरीक्षा का निर्णय लिया था। इसके खिलाफ मुख्यपरीक्षा में चयनित विद्यार्थियों ने हाईकोर्ट में अपील लगी थी और तब हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने एडिशनल मुख्यपरीक्षा का आदेश दिया था और सबकी मुख्यपरीक्षा पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आयोग का निर्णय विधि सम्मत था, क्योंकि पहले प्री का परिणाम जो 21 दिसंबर को जारी किया गया था। उन नियमों को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 7 अप्रेल को रद्द कर दिया और पूरी प्रक्रिया को नियमों के खिलाफ घोसित कर दिया था। गलत नियमों के परिणाम पर जो मुख्यपरीक्षा हुई थी वो खुद ही समाप्त हो जाती है, इसलिए 2019 में सिर्फ मुख्यपरीक्षा हो सकती है इसके अलावा कुछ नही। बाद में मध्यप्रदेश सरकार ने 17 फरवरी 2020 के सिविल सर्विस रूल्स को रद्द करते हुए नए नियम बनाये। जबकि 7 अप्रेल के जजमेंट में हाईकोर्ट का आदेश सिविल सर्विस नियम 2015 से राज्य सेवा आयोग 2019 को करवाने का आदेश दिया। ऐसे में पुरानी मुख्यपरीक्षा 17 फरवरी 2020 के नियम से हुई थी और उसमें जो चयनित हुए, उनका चयन भी नए नियम से हुए है।