भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 15 वर्ष बाद मिली सत्ता को 15 माह में गंवाने के बाद कांग्रेसी (Congress) खेमे में उपचुनाव (By-election) हार के बाद भी सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। पार्टी में अब नेता प्रतिपक्ष पद के लिए तलवारें तनती नजर आ रही हैं। भिंड में कांग्रेस जिलाध्यक्ष की ओर से लहार विधायक, पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह (Dr Govind Singh) को छह वर्ष के लिए निष्कासित करने का प्रस्ताव इसकी ही कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है डॉ सिंह को नेता प्रतिपक्ष (Leader Opposition) की कुर्सी पर पहुंचने से रोकने के लिए कांग्रेस के ही आला नेताओं की शह पर यह हुआ है। हालांकि गोविंद सिंह ने इस मामले में खामोशी ओढ़ रखी है। पार्टी के दूसरे नेता भी इस पर मौन है।
उप-चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में अब नेता प्रतिपक्ष के लिए दावेदारी शुरू हो गई है। संगठन के नेता इस पद के लिए सक्रिय है। दरअसल पूर्व सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ (Kamal Nath) के इस बयान के बाद कि वे मध्यप्रदेश नहीं छोड़ने वाले हैं और यहीं संगठन की मजबूती के लिए काम करेंगे। माना जा रहा है कि वे नेता प्रतिपक्ष के पद से जल्द इस्तीफा देंगे। नेता प्रतिपक्ष को लेकर जो नाम चर्चाओं में है उनमें पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा (Sajjan Singh Verma), डॉ. गोविंद सिंह, बृजेंद्र सिंह राठौर और डॉ. विजय लक्ष्मी साधो प्रमुख है। भिंड (Bhind) जिला कांग्रेस (Congress) में जो हुआ वह इसी का नतीजा माना जा रहा है।
मेहगांव और गोहद सीट (Mehgaon and Gohad Assembly Seat) पर उपचुनाव के नतीजों के बाद समीक्षा के लिए जिलाध्यक्ष जयश्रीराम बघेल ने मंगलवार को बैठक बुलाई थी। बैठक की शुरुआत में जिलाध्यक्ष ने जिस तरह से इशारा किया था कि पदाधिकारी भितरघात करने वाले का नाम लें, कितना भी बड़ा आदमी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। इससे साफ है कि कांग्रेस के आला नेतृत्व में शामिल नेताओं ने अपनी ही पार्टी के कद्दावर नेता विधायक डॉ. गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी की ओर बढ़ने से रोकने के लिए स्क्रिप्ट तैयार की है।
समीक्षा की उठ रही मांग
गौरतलब है कि उपचुनाव में कुछ नेताओं के सक्रिय ना होने से ही कांग्रेस को महज 9 सीट पर संतोष करना पड़ा है। इसके बाद से पार्टी में असंतोष के स्वर उठने लगे हैं और पार्टी के कई नेता अब संगठन की समीक्षा कर काम करने वाले नेताओं को महत्व देने की बात खुलेआम कर रहे हैं। हाल ही में पूर्व मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा था कि कांग्रेस लगातार एक के बाद एक हर चुनाव हार रही है, ऐसे में इसकी समीक्षा होना चाहिए और नेताओं और कार्यकर्ताओं की दूरी भी कम होना चाहिए। उन्होंने जमीनी आधार वाले नेताओं को महत्व देने की मांग की थी। पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर समेत कई अन्य नेता भी ब्लॉक से लेकर जिला लेवल तक जनाधार वाले नेताओं को मौका देने की बात कर रहे हैं।
जल्द भंग हो सकती है प्रदेश कार्यकारिणी
कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी को जल्द भंग किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में इसे लेकर कमलनाथ की शीर्ष नेताओं से चर्चा हो चुकी है। इस प्रदेश कार्यकारिणी में थोक में नेताओं की नियुक्ति दी गई थी अब विचार किया जा रहा है कि नई कार्यकारिणी का गठन किया जाए और इसमें केवल 50 से 55 नेताओं को ही जगह दी जाए। इसके अलावा विधानसभा चुनाव के वक्त जिलों में बनाए गए कार्यकारी अध्यक्षों के पद भी समाप्त किए जा सकते हैं। फिलहाल 1 जिले में अध्यक्ष के साथ तीन से चार कार्यकारी अध्यक्ष है।