भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। अपने अधीनस्थ रेंजर से तीस हजार रूपये की रिश्वत मांगने का ऑडियो वायरल होने के बाद सुर्खियों में आए आईएफएस अधिकारी मोहन लाल मीणा को बैतूल के सीसीएफ पद से हटाकर भोपाल पदस्थ कर दिया गया है। शासन की इस कार्रवाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर आरोप साबित होने के बाद इतनी छोटी कार्रवाई के क्या मायने है?
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बेतूल में पदस्थ सीसीएफ आईएफएस अधिकारी मोहनलाल मीणा का ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें वे अपने अधीनस्थ रेंजर से तीस हजार रूपये अपने बेटे के खाते में डालने की मांग कर रहे थे। इस तथाकथित वायरल ऑडियो में मोहनलाल मीणा रेंजर से कह रहे थे कि बेटे की फीस जमा करनी है, लिहाजा पैसे जमा कर दो। अगले महीने देख लेंगे। यह आरोप लगने के बाद भोपाल मुख्यालय से एक टीम इस मामले की जांच करने के लिए बैतूल गई थी और मीणा पर लगे गए आरोपों को सही पाया गया था। इसके बाद कुछ महिलाओं ने यह भी आरोप लगाए थे कि मोहन लाल मीणा का आचरण ठीक नहीं है और वे विभाग की कई महिला कर्मचारियों का शारीरिक व मानसिक शोषण भी कर चुके हैं। महिला वनकर्मियों ने बैतूल पहुंचे जांच दल को इस बात की लिखित शिकायत भी दी थी। इस शिकायत में छह महिला कर्मियों ने यह खुलासा किया था कि छह महीने के कार्यकाल में बैतूल में मीणा ने कई महिलाओं का शारीरिक व मानसिक शोषण किया है। उनका निशाना अक्सर वे महिलाएं रहती जो फील्ड अकेली रहती हैं और उन्हें वह फोन पर मिलने के लिए बात करते हैं। इसके साथ ही मोहन लाल मीणा के रेंजर के साथ ऑडियो वायरल होने के बाद तीन ऑडियो और वायरल हुए थे जिनमे वे पैसों की मांग कर रहे थे।
जांच दल को इन सभी शिकायतों में पर्याप्त सबूत व सच्चाई मिली थी और उसने अपनी रिपोर्ट वन विभाग को सौंप दी थी। बावजूद इसके मोहन लाल मीणा को केवल सीसीएफ पद से हटाकर भोपाल मुख्यालय में पदस्थ किया गया है जिसे लेकर कर्मचारी अधिकारियों में रोष है कि आखिरकार भ्रष्टाचार व महिला उत्पीड़न के इतने संगीन मामले में घिरे हुए अधिकारी के खिलाफ इतनी छोटी कार्रवाई का क्या औचित्य है।