भोपाल।
लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है। विधानसभा चुनाव जीत के बाद कांग्रेस का फोकस एमपी की 29 सीटों पर है। विन २९ का मिशन लेकर चल रही कांग्रेस हर हाल में इन सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है।जिस तरह विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने कर्जमाफी को आधार बनाकर सालों का वनवास काटा था, उसी प्रकार अब लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने नया प्लान बनाया है। जिसको लेकर कांग्रेस मैदान में उतरेगी और मोदी सरकार के साथ साथ बीजेपी की भी घेराबंदी करेगी।
कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह मुख्यमंत्री कमलनाथ के ढ़ाई महिनों के कार्यकाल के साथ साथ कांग्रेस के उन वादों को लेकर भी मैदान में उतरेगी जो राहुल ने हाल में किए गए है। एमपी में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता उन ऐलानों और वादों का प्रचार करेंगे जो राहुल गांधी और प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने किया है। इनमें बेसिक इनकम का ऐलान, इसके तहत गरीबों को मिनिमम आय की गारंटी देना ,ट्रिपल तलाक कानून रद्द करने का वादा, आदिवासियों की जमीन, महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण, शिक्षा औऱ स्वास्थ्य पर फोकस के साथ साथ युवाओं को लेकर किए गए वादे शामिल होंगें।
इसके अलावा किसानों के हित में किए जाने काम भी इसमें शामिल किए जाएंगें।वही हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा किए गए ऐलान, जिनको प्रदेश सरकार ने पूरा किया है वो भी आधार बनेंगें। कर्जमाफी, युवाओं को रोजगार, आरक्षण और आदिवासियों की जमीन को लेकर लिया गया फैसला आदि को भी इसमें आगे किया जाएगा। वही लोकसभा चुनाव प्रचार में कृषि संकट, किसानों की आत्महत्या, बेरोजगारी और आंतरिक सुरक्षा को भी चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा।बहरहाल मिशन 2019 को लेकर बिछ चुकी सियासी बिसात में एक दूसरे को मात देने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी चालें चलना तेज कर दिया है और हर कोई चाहता है कि किसान, गरीब, महिला, युवा और आम जन से जुड़े मुद्दों के सहारे चुनाव में जीत की नैया को पार लगाया जाए।
घोषणा पत्र में एमपी के इन मुद्दों को भी शामिल करने की तैयार
माना जा रहा है कि घोषणा पत्र में कांग्रेस एमपी के लिए बड़ी घोषणा कर सकती है।प्रदेश के विकास को लेकर कांग्रेस के घोषणा पत्र में कई वादे भी शामिल किए जा सकते है। इनमें रोजगार, शिक्षा, रेलों की संख्या से लेकर आम आदमी को राहत देने वाले मुद्दे शामिल किए जा सकते है। मौजूदा संवैधानिक व्यवस्था में किसी तरह के बदलाव से परहेज करें, ताकि जातीय आधार पर सियासत न हो सके, बेरोज़गारी की समस्या से निपटने के लिए परंपरागत रोज़गार को बढ़ावा दें, इसके लिए अधिनियम लाया जाए, परंपरागत व्यावसाय राइट एक्ट लागू करें, किसानों को उपज का सही दाम दिलाने के लिए सेंट्रल मंडी की स्थापना, पीडीएस सुधारने के लिए डि सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था लागू करें, रक्षा से जुड़े मामलों में पॉलिटिकल बयानबाज़ी पर पूरी तरह से रोक, स्वास्थ्य, सेवा और शिक्षा का पूरी तरह से राष्ट्रीयकरण कर समामता लाने, उद्योगों को हर राज्य में प्रोत्साहित करने के लिए गवर्नेंट सेंट्रल पालिसी औऱ मनरेगा की तर्ज पर शहरी युवाओं के लिए रोजगार गारंटी कार्यक्रम जैसे मुद्दों को भी जगह दी जा सकती है।