UGC के नए नियमों से शोधार्थियों को मिलेगा लाभ, अब 62 वर्ष आयु तक वाले प्राध्यापक बनेंगे PHD गाइड, सेवानिवृत्ति आयु पर अपडेट

Pooja Khodani
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UGC Rule 2022: नवंबर में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा पीएचडी के नियमों में संशोधन करने के बाद अब अन्य विश्वविद्यालयों ने भी इसे लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में इंदौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय भी इसे फरवरी में होने वाली प्रवेश परीक्षा से पहले लागू करने का फैसला किया है, इसके तहत अब 62 वर्ष आयु तक वाले प्राध्यापक पीएचडी गाइड बनेंगे और नए शोधार्थियों को पीएचडी करवाने में मार्गदर्शन देंगे। खास बात ये है कि बीते 15 साल में तीसरी बार गाइड को लेकर नियमों में संशोधन हुआ है।

दरअसल,आमतौर पर शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने की आयु 65 वर्ष निर्धारित है। ऐसे में कई शिक्षक 65 वर्ष होने तक पीएचडी सीट पर शोधार्थियों को रिसर्च करवाते रहते हैं, जिसका नतीजा यह होता है कि वे 65 में रिटायर हो जाते है और शोधार्थियों की पीएचडी अधूरी रह जाती है, उसे पूरी करने के लिए उन्हें फिर नए गाइड को ढूंढना पड़ता है। इसके कारण पीएचडी करने की अवधि बढ़ जाती है, ऐसे में पीएचडी लंबी ना चले और समय पर पूरी हो, यूजीसी ने गाइड की आयु निर्धारित कर दी है।

ये रहेंगे नियम शर्ते

यूजीसी के नियमों के मुताबिक, अब 62 वर्ष आयु तक वाले प्राध्यापक को ही पीएचडी गाइड बनाया जाएगा,इसके तहत 62 से 65 वर्ष के बीच आयु वाले गाइड ही अपने अधीन आने वाले शोधार्थियों को पीएचडी पूरी करवाएंगे। इसके लिए कुछ नियम और शर्ते भी तय किए गए, जिसके तहत 62 वर्ष आयु होने से गाइड को 3 वर्षों में पीएचडी पूरी करवानी होगी।  ऐसे टीचर जिनकी सेवानिवृत्त उम्र सीमा 3 साल से कम बची है अब उन्हें अपने निरीक्षण में नए शोधार्थियों को लेने की अनुमति नहीं होगी लेकिन पहले से रजिस्टर्ड शोधार्थी का मार्गदर्शन जारी रहेगा। इसमे सबसे अहम ये है कि इस पूरी अवधि के दौरान या खाली सीट होने के बावूजद गाइड को कोई नया शोधार्थी नही मिलेगा।

एमपी की इस यूनिवर्सिटी में लागू होंगे नियम

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बदलाव के बाद अब एमपी के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय भी नए गाइड के लिए पंजीयन की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में है। इसके लिए विश्वविद्यालय इस नियम को अपने अध्यादेश में जोड़ेगा, संभावना है कि जनवरी की कार्यपरिषद से मंजूरी के बाद नियमों को शामिल जा सकता है। चुंकी पहले विश्वविद्यालय ने फरवरी में पीएचडी की खाली सीटों के लिए डाक्टरल एंट्रेंस टेस्ट (डीईटी) करवाना तय किया था,लेकिन यूजीसी द्वारा नियमों में बदलाव करने के बाद अब वो भी परिवर्तन करने की तैयारी में है।

UGC ने किए ये बदलाव

हाल ही में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की ओर से पीएचडी कोर्स को लेकर नई गाइडलाइन जारी की गई , जिसके अनुसार PHD डिग्री कोर्स की अवधि कम से कम तीन साल और कैंडिडेट को एडमिशन की तिथि से अधिकतम 6 साल का समय दिया जाएगा। नए नियमों में स्टूडेंट्स कम उम्र में पीएचडी कोर्सेज में प्रवेश ले सकेंगे। महिला और दिव्यांग कैंडिडेट को 2 साल की छूट दी जाएगी। वही किसी संस्थान में सेवारत कर्मचारी या टीचर पार्टटाइम पीएचडी कर सकेंगे।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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