पदोन्नति में आरक्षण: 3 साल से अटके हैं प्रमोशन, सरकार नहीं ले पा रही फैसला

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भोपाल।  सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण देने पर मप्र सरकार अभी तक निर्णय नहीं ले पाई है। जबकि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ यह स्पष्ट कर चुके है कि प्रमोशन में आरक्षण राज्य अपने हिसाब से दे सकते हैं। आरक्षण दिए जाने के लिए पिछड़ेपन के आंकड़े इकट्ठे करने की बाध्यता भी समाप्त कर दी गई है। इस सिद्धांत के आधार पर मध्यप्रदेश की जो सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी विचाराधीन है, उस पर फैसला आना है। तब तक प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण पर रोक रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि इन वर्गों के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए राज्यों को उनके पिछड़ेपन का डेटा जुटाने की जरूरत नहीं है। इस निर्णय के बाद भी मध्यप्रदेश में कर्मचारियों की पदोन्नति में लगी रोक अभी भी बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह जरूर साफ हो गया है कि राज्य सरकार संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार एससी-एसटी के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण दे सकती हैं, लेकिन यह करने से पहले राज्य सरकार को यह देखना होगा कि प्रशासनिक क्षमताओं पर कोई दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है। इसका आकलन करने के बाद पदोन्नति में आरक्षण दिया जा सकेगा। राज्य सरकार अभी तक इस मसले पर कोई फैसला नहीं कर पाई है। न ही किसी तरह की बैठक बुलाई गई है। ऐेसी स्थिति में प्रदेश के हजारों कर्मचारियों का प्रमोशन अटका हुआ है। 


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