Sainik School: छात्राओं को लेकर सरकार का बड़ा फैसला, नए सत्र से मिलेगा लाभ

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। केन्द्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने छात्राओं (Student) को बड़ी सौगात दी है। सरकार ने फैसला किया है कि शैक्षणिक सत्र 2021-22 से सभी सैनिक स्कूलों (Sainik Schools) में छात्रों के साथ साथ छात्राओं को भी एडमिशन (Admission) दिया जाएगा।इस बात की पुष्टि संसद में चल रहे लोकसभा सत्र (Loksabha Session) में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाईक (Shripad Naik) ने दी है।

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मोदी सरकार में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाईक ने बताया कि शैक्षणिक सत्र 2018-19  में मिजोरम के चिंनिंगचिप सैनिक स्कूल  में बालिका कैडेट्स के दाखिले की पायलट परियोजना की सफलता के बाद सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2021-22 (Academic session 2021-22) से सभी सैनिक स्कूलों (Sainik Schools)  में लड़कों के साथ लड़कियों का भी दाखिला करने का फैसला किया है।इसके लिए सरकार ने एनजीओ (NGO), निजी स्कूलों (Private Schools) और राज्य सरकारों (State Government) के साथ गठजोड़ से सैनिक स्कूलों की स्थापना के लिए नई योजना का प्रस्ताव किया है।

खास बात ये है कि मोदी सरकार द्वारा बजट 2021 में देश में 100 नए सैनिक स्कूल  (Sainik Schools) खोलने की घोषणा की गई है। इसमें जवाहर नवोदय विद्यालयों (JNV) को सैनिक स्कूलों में बदलने का भी प्रावधान रखा गया है। इसमें मध्‍यप्रदेश के भोपाल रीजन के अंतर्गत आने वाले 3 नवोदय विद्यालयों को सैनिक स्कूल में बदलने का फैसला लिया गया है। पांच नवोदय विद्यालयों के नाम नवोदय विद्यालय समिति के भोपाल रीजन के उपायुक्त को भेजे गए हैं। इसमें मध्य प्रदेश के भोपाल (Bhopal), सीहोर (Sehore) व कटनी का नाम शामिल है।नवोदय विद्यालय के सैनिक स्कूल में बदल जाने के बाद इसमें पढ़ने वाले सभी छात्रों को नेशनल डिफेंस अकादमी (NDA) का एग्जाम देना पड़ेगा।

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बता दे कि सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा सैनिक स्कूल(Sainik Schools)  संचालित किए जाते हैं। यह रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के प्रशासनिक नियंत्रण में होता है। सैनिक स्कूलों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य छात्रों को कम उम्र से भारतीय सशस्त्र बलों(Indian Armed Forces) में प्रवेश के लिए तैयार करना है, ताकी देश की रक्षा में वे महत्वपूर्व भूमिका निभा सके।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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