नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi high court) द्वारा पिछले महीने सहारा समूह (Sahara Group) की 9 संस्थानों की जांच पर लगाए गए स्टे के खिलाफ सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) ने सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में उनके द्वारा की गई अपील पर तत्काल सुनवाई के लिए शुक्रवार को निवेदन किया है। सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (Serious Fraud Investigation Office) की तरफ से यह अनुरोध भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने किया है।
बता दें दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले महीने SFIO द्वारा सहारा कंपनियों के 50,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की जांच पर रोक लगा दी थी। जिसके खिलाफ जांच कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। कार्यालय की ओर से तुषार मेहता ने अनुरोध करते हुए मुख्य न्यायधीश को बताया कि कंपनी अधिनियम के तहत तीन महीने की शर्त का हवाला देते हुए हाई कोर्ट द्वारा समूह की 9 कंपनियों की जांच पर रोक लगाई गई थी।
जबकि सुप्रीम कोर्ट के हाल ही के आदेशानुसार एसएफआइओ की जांच एक निरंतर जांच है और जो तीन महीने से ज्यादा समय ले सकती हैं। इसके अलावा 2018 से चल रही यह जांच अभी भी 31 मार्च 2022 की तय की गई समय अवधि के अंदर है। सॉलिसिटर जनरल की बात पर गौर करते हुए माननीय मुख्य न्यायधीश एनवी रमना ने कहा कि वे कागज़ात देखेंगे और उसके बाद सुनवाई के लिए तारीख तय करेंगे।
SFIO द्वारा हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के सामने अपनी स्पेशल लीव पिटिशन में बताया की रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ को निवेशकों द्वारा भारी संख्या शिकायत मिली थीं जिनमें बताया गया था कि निवेशकों की परिपक्वता राशि (maturity amount) का भुगतान समूह की कंपनियों द्वारा नहीं किया गया है। जिसके बाद RoC (Registrar of Companies) मुंबई ने सहारा क्यू शॉप यूनिक प्रोडक्ट्स रेंज लिमिटेड, सहारा क्यू गोल्ड मार्ट लिमिटेड, सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन से जुड़े मामलों की जांच शुरू करने की सिफारिश केंद्र सरकार से की ।
आपको बता दें वर्ष 2018 में SFIO को यह जांच मंत्रालय द्वारा सौंपी गई थी। जिसकी रिपोर्ट आने के बाद मालूम हुआ था कि सहारा समूह की विभिन्न कंपनियों (सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड, सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉरपोरेशन लिमिटेड, सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड) द्वारा लगभग 50,000 करोड रुपए विभिन्न योजनाओं के तहत अच्छे रिटर्न्स का वादा कर एकत्र किए गए थे। लेकिन किसी भी योजना के अंतर्गत निवेशकों का भुगतान (Maturity Amount) नहीं किया गया।
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जांच के दौरान यह भी सामने आया कि सहारा समूह द्वारा निवेशकों को इस बात के लिए मजबूर किया गया कि वे उनके द्वारा की गई जमा राशि को समूह द्वारा चलाई जा रही अन्य योजनाओं में बदल दे। रिपोर्ट के अनुसार इन छह कंपनियों के अलावा समूह की और तीन कंपनी एंबी वैली लिमिटेड, किंग एंबी सिटी डेवलपर्स कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा प्राइम लिमिटेड धोखाधड़ी में शामिल थी।
जांच के दौरान SFIO द्वारा यह पाया गया की समूह की सभी 9 कंपनियां आपस में जुड़ी हुई है और इनके बीच आपस में ही भारी निवेश किए गए हैं। जिसके बाद अक्टूबर 2020 में अन्य 6 कंपनियों को भी मंत्रालय द्वारा कारपोरेट मामलों में जांच के लिए एसएफआइओ के समक्ष रखा गया।
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एसएफआइओ ने बताया कि इन नौ कंपनियों द्वारा केवल आपस में ही नहीं बल्कि सहारा समूह की अन्य संस्थाओं में भी धन की बड़ी मात्रा में आवाजाही पाई गई है जिससे निश्चित ही यह संदेह होता है कि यह कंपनी द्वारा जनता के पैसे की हेरा फेरी की गई है। इसके अलावा जांच ऑफिस ने यह भी बताया कि जिस कंपनी अधिनियम के तहत हाईकोर्ट ने एसएफआइओ जांच के दो आदेशों पर रोक लगा दी थी उस पर एसएफआईओ द्वारा 2019 के सुप्रीम कोर्ट के राहुल मोदी कैसे पर फैसले का हवाला दिया गया जिसके बाद मंत्रालय ने जांच पूरी करने की समय सीमा को 31 मार्च 2022 तक बढ़ा दिया था।
सहारा का विवादों से पुराना नाता है। निवेशकों का पैसा वापस न लौटाने के चलते सहारा पर देश भर मे सैकङो FIR दर्ज है। निवेशकों का पैसा वापस करने को लेकर बाजार नियामक सेबी के साथ चल रहे विवाद मामले में सहारा प्रमुख सुब्रत राय और कंपनी के दो निदेशक 26 महीने तिहाड़ जेल में बंद रहे थे। मई 2016 मे वे बाहर आऐ थे।कुछ दिन पहले ही उनका ब्रेन ऑपरेशन हुआ था।