ठंड लगी तो ट्रेन में जला ली अंगीठी, AC कोच में धुआं देखकर यात्रियों में हड़कंप

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fireplace lit in the train : ठंड का मौसम है और ऐसे में अगर आप ट्रेन का सफर कर रहे हैं और जाड़ा लग रहा है तो क्या करेंगे ? ज़ाहिर सी बात है कि कुछ और गर्म कपड़े पहन लिए जाएं, या फिर एसी कोच हो तो अटेंडेंट से तापमान नियंत्रण करने के लिए कहा जा सकता है। लेकिन क्या कभी आपके मन में ये खयाल आ सकता है कि आप ट्रेन के कोच में अंगीठी जलाकर  बैठ जाएं।

ट्रेन में जलाई अंगीठी

ऐसा ही एक वाकया सामने आया है कानपुर रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली संगम एक्सप्रेस ट्रेन में। बीते दिनों इसमें किसान यूनियन के कुछ सफर कर रहे थे। मेरठ से प्रयागराज जा रही ट्रेन में इन यात्रियों को ठंड लगी और उसका जो उपाय उन्होने निकाला, वो बेहद खतरनाक था। ये लोग ट्रेन के एसी कोच में अंगीठी जलाकर हाथ तापने लगे। इस कारण पूरे कोच में धुआं फैल गया और लोग उसे देखकर घबरा गए। धुआं देखकर यात्रियों में हड़कंप मच गया, लेकिन जब उनकी समझ में सारा माजरा आया तो सबके होश उड़ गए।

सुरक्षा के साथ खिलवाड़

कुछ लोगों ने घटना की जानकारी रेलवे अधिकारियों को दी। इसके बाद कामपुर देहात के झींझक स्टेशन पर आरपीएफ ने मामले की जांच की। हालांकि जिस व्यक्ति ने अंगीठी जलाई थी वो भी अधिकारियों के हाथ नहीं लगा और अंगीठी भी नहीं मिली। उन्होने किसान यूनियन के नेताओं को इस बारे में समझाइश देकर छोड़ दिया। ट्रेन में सबकुछ ठीक पाया गया और इसके बाद उसे आगे के लिए रवाना किया गया। अच्छी बात रही कि इस दौरान किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई, लेकिन चलती ट्रेन में अंगीठी जलाना किसी हादसे को न्योता देने से कम नहीं था। इस कारण कोई भी बड़ी दुर्घटना घट सकती थी। किसी एक व्यक्ति या कुछ लोगों की लापरवाही के चलते सैंकड़ों लोगों की जान के खतरे में डालना निहायत गैर जिम्मदाराना कदम है। ये घटना हमें फिर आगाह करती है कि अपनी और दूसरों की सुरक्षा को लेकर हमेशा सतर्क रहना चाहिए और अगर आसपास कोई दूसरा भी ऐसी कोई अवांछित हरकत करते दिखे, तो तुरंत संबंधित अधिकारी या पुलिस को सूचना देना चाहिए।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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