शराब पर संग्राम, विरोध में अकेले पड़े शिवराज

भोपाल। प्रदेश में नई शराब नीति को लेकर सत्ता पक्ष औेर विपक्ष के बीच जबर्दस्त आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नई शराब नीति से प्रदेश में 2 हजार से ज्यादा नई शराब दुकानें खुलने का आरोप लगा रहे हैं, जवाब में सत्ता पक्ष एक भी शराब की दुकान नहीं खुलने का दावा कर रहा है। सत्ता पक्ष का दावा है कि नईनीति से शराब माफिया पर लगाम लगेगी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार के आंकड़े गिनाते हुए पिछली सरकार में ही नई शराब दुकानें खोलने का दावा किया है। फिलहाल शराब दुकानों के विरोध में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अकेले पड़ गए हैं। मप्र भाजपा का अन्य कोई नेता शिवराज के साथ खड़ा दिखाई नहीं दे रहा है। 

नई शराब नीति की अधिसूचना जारी होने के बाद से ही शिवराज ने शराब नीति को वापस लेने की मांग शुरू कर दी है। शुरू में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने बयान जारी कर आरोप लगाए थे कि सरकार प्रदेश में गौशालाओं की जगह गांव-गांव मधुशालाएं खोलना चाहती है। इसके बाद से भार्गव ने शराब के मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। मप्र भाजपा के अन्य किसी नेता ने शराब नीति के विरोध में मुंह नहीं खोला है। फिलहाल शराब को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। पहले दिन शिवराज ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नीति को वापस लेने की मांग की थी। हाजिर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज को पत्र लिखकर आश्वस्त किया था कि प्रदेश में शराब की एक भी नई दुकान नहीं खुलेगी। सिर्फ शराब ठेकेदार तय फीस देकर उपदुकान खोल सकेगा। जिससे अवैध शराब की विक्री पर रोक लगेगी। कमलनाथ ने आंकड़े जारी कर बताया कि भाजपा शासन काल में ही नई शराब दुकानें खोली गई थीं। मुख्यमंत्री के जवाब से बैकपुट पर आए शिवराज ने दूसरा पत्र लिखकर कहा कि वे प्रदेश के जिम्मेदार नागरिक है। इसलिए शराब के विरोध में आवाज उठा रहे हैं। गांव-गांव शराब बिकने से प्रदेश नशे में डूब जाएगा। 


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