Sushant Singh Death Anniversary: जब सुशांत ने बताया, कैसे शाहरुख खान ने कन्फ्यूजन दूर करने में की उनकी मदद

Pratik Chourdia
Published on -

मुम्बई, डेस्क रिपोर्ट। दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (late actor sushant singh rajput) हिंदी फिल्म जगत के चमकते सितारों में से एक थे। 14 जून 2020 में अचानक आत्महत्या (suicide) से उनकी मौत की खबर लगने ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। आम लोग उनसे इसलिए भी ज़्यादा कनेक्ट करते थे क्योंकि वे भी एक आम मिडल क्लास फैमिली (common middle class family) से उठकर अपनी मेहनत और टैलेंट के दम पर बॉलीवुड (bollywood) के जाने-माने सितारों में से एक बने थे। हालांकि, आज तक एक्टर की मरने की मिस्ट्री सुलझ नहीं पाई है।

यह भी पढ़ें… CBSE 12th Result 2021 : टीम आज जारी कर सकती है रिजल्ट तैयार करने का फॉर्मूला

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से अपनी इंजीनियरिंग पूरी की थी। इसके अलावा उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए से स्कॉलरशिप भी हांसिल की थी। उन्होंने अपने एक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिए सब छोड़ दिया। सुशांत सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान एक इंजीनियर से एक्टर तक के सफर के बारे में बताया था तब उन्होंने शाहरुख खान का भी ज़िक्र किया था। आइए आज सुशांत की डेथ एनीवर्सरी पर जानते हैं उन्होंने क्या कहा-

यह भी पढे़ं… जबलपुर- मानसून सक्रिय होते ही बरगी बांध में जलस्तर बढ़ना शुरू

शाहरुख खान के संबंध में सुशांत सिंह ने कहा, ” ऐसा नहीं था कि मैं बॉलिवुड के नंबर 1 शाहरुख खान से प्रभावित नहीं था। मुझे याद है जब मैंने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे देखी थी और उसमें शाहरुख को मैंने एक ‘कूल डूड’ के रूप में देखा था। वो बेहतरीन कलाकार हैं, लेकिन इससे भी ज़्यादा शाहरुख की एक और चीज़ का असर मुझ पर पड़ा, शाहरुख ने मेरी मदद की थी मेरा ये कन्फ्यूजन दूर करने में कि मैं कौन बनूं और कैसे रहूं। ये 90s की बात है जब देश में आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही थी और हम लोग कोक कैन्स पहली बार देख रहे थे। इंटरनेशनल ब्रांड्स भारत मे आ रहे थे। इससे मैं बहुत आकर्षित हुआ था लेकिन साथ मे मैं कंफ्यूज भी था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं इस नए कल्चर में रम जाऊं या अपने असल कल्चर के प्रति लॉयल रहूं। तभी दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे फ़िल्म आई, मैं छठवीं क्लास में था और राज ने सिखाया की कैसे बियर पीना कूल है लेकिन इसी के साथ उसने सिमरन के पिता की रजामंदी का भी इंतजार किया। यहां पर एक बैलेंस था। उस किरदार में एक परफेक्ट सामंजस्य था, एक आकांछी भारत का और एक ऐसे भारत का जो अपने कल्चर की नींव से जुड़ा है।”


About Author
Pratik Chourdia

Pratik Chourdia

CTO & Digital Head of MP Breaking News

Other Latest News