भोपाल।
एमपी में लंबे संघर्ष के बाद बीजेपी की सरकार बनते ही पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को बड़ी राहत मिली है। मध्यप्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने सिंधिया और उनके परिजन के खिलाफ हाल ही में फिर से खोले गये कथित संपत्ति के दस्तावेजों में हेरफेर के मामले को बंद कर दिया है।बता दे कि सिंधिया द्वारा कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में जाने के बाद तत्कालीन कमलनाथ की सरकार के दौरान ईओडब्ल्यू ने ग्वालियर में शिकायतकर्ता सुरेन्द्र श्रीवास्तव की शिकायत पर 12 मार्च को यह मामला फिर से खोला था, जिसके बाद से ही सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई थी, लेकिन अब बीजेपी के सत्ता में आते ही मामला फिर से शांत हो गया है।
ईओडब्ल्यू के एक आला अधिकारी ने मंगलवार को बताया, ”सुरेन्द्र श्रीवास्तव ने 12 मार्च को सिंधिया और उनके परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्होंने एक रजिस्ट्री दस्तावेज में हेरफेर कर वर्ष 2009 में ग्वालियर के महलगांव में 6000 वर्ग फुट जमीन उन्हें बेची। उनकी शिकायत के बाद हमने तथ्यों को फिर से सत्यापित करने के लिए अपने ग्वालियर कार्यालय को आदेश दिए।” उन्होंने कहा कि मामले की जांच के बाद हमने ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके परिजन के खिलाफ इस मामले को फिर से बंद कर दिया है। उन्होंने बताया कि पहली दफा यह शिकायत 26 मार्च 2014 में की गई थी। जिसकी जांच के बाद हमने इसे बंद कर दिया था।
दरअसल, एक मामले में सिंधिया पर आरोप है कि उन्होंने 10 हजार करोड़ की सरकारी जमीन को अपने कब्जे में लेकर उसे बेच दिया था।जिसके बाद 2014 में उनके खिलाफ EOW में मामला दर्ज करवाया गया था। खबर तो ये भी थी कि इस मामले में शिकायतकर्ता सुरेंद्र श्रीवास्तव ने इस मामले को दोबारा खोलने के लिए आवेदन दिया था। आवेदन के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि सिंधिया के खिलाफ इस मामले में जल्द ही कार्यवाही होगी। इससे पहले जमीन घोटाले मामले में प्रभात झा भी सिंधिया के खिलाफ घेराबंदी कर चुके हैं।लेकिन प्रदेश में बीजेपी की सत्ता आते ही सारे केस बंद हो गए है और ईओडब्ल्यू ने भी केस बंद कर दिया है।