भोपाल। मध्य प्रदेश में लंबे समय से पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य़ सिंधिया और सीएम कमलनाथ के बीच चल रही खटपट अब दूर होने की उम्मीद है। सिंधिया का नाम राज्य सभा के लिए तेज़ी से चल रहा है। ऐसी अटकलें हैं कि सिंधिया को राज्य सभा भेजने के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सीएम के किसी खास को चुना जाएगा। जिससे दोनों दिग्गज नेताओं के बीच समन्वय बैठाया जा सके। सिंधिया राज्य सभा जाने के लिए अड़े हैं। हाईकमान ने इसका रास्ता निकाल लिया है। सिंधिया को राज्य सभा भेजने से पीसीसी चीफ का रास्ता साफ हो जाएगा। सीएम कमलनाथ की पंसद के किसी करीबी को पीसीसी की कमान सौंपी जा सकती है।
दरअसल, प्रदेश में पीसीसी चीफ के नाम को लेकर सिंधिया और कमलनाथ में खींचतान चल रही थी। सीएम चाहते हैं कि उनकी पंसद का व्यक्ति पीसीसी की कमान संभाले। लेकिन सिंधिया के पीसीसी चीफ की रेस में शामिल होने से हाईकमान फैसला नहीं कर पा रहा था। सिंधिया के कारण पीसीसी चीफ का नाम तय नहीं हो पा रहा था। वर्तमान में बाला बच्चन और सज्जन सिंह वर्मा का नाम पीसीसी चीफ के लिए चल रहा है। लेकिन हाईकमान ने एक पद एक फार्मूला होने की बात भी कही थी। अगर इन्हें पीसीसी चीफ बनाया जाता है तो फिर मंत्री पद इनसे वापस लिया जा सकता है। फिलहाल राज्य सभा के लिए आधिकारिक तौर पर किसी के नाम का ऐलान नहीं किया है। माना जा रहा है कि सिंधिया का नाम राज्य सभा के लिए नामांकित किया जाता है तो फिर वह पीसीसी चीफ की दावेदारी से पीछे हट जाएंगे।
सिंधिया के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी पीसीसी चीफ के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव के नाम पर भी चर्चा हो रही है। दिग्विजय सिंह को राज्यसभा भेजकर नाथ पार्टी संगठन को अपने नियंत्रण में रखना चाहते हैं। वह इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। सिंधिया और सिंह दोनों ही राज्य सभा में जाने के लिए नाथ पर निर्भर हैं, क्योंकि यह मुख्यमंत्री हैं जिन्हें मामले पर फैसला लेना है। अगर नाथ के करीबी को पीसीसी अध्यक्ष बन जाता है, तो चार साल में उसके लिए कोई समस्या नहीं होगी। दोनों नेताओं को RS में भेजने से, नाथ पार्टी संगठन को नियंत्रित करने में सक्षम होंगे। कमलनाथ दिग्विजय सिंह को आरएस भेजकर पार्टी संगठन को अपने नियंत्रण में रखना चाहते हैं। वह इसके लिए प्रयास कर रहा है।