नसबंदी के बाद प्रेग्नेंट हुई महिला, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया 3 लाख मुआवजा देने का आदेश
21 साल की उम्र तक बच्चे की शिक्षा का पूरा खर्च भी राज्य सरकार उठाएगी, पालन-पोषण के लिए हर माह देगी 10 हजार रूपये
Important decision of Madras High Court : मद्रास हाईकोर्ट ने नसबंदी के बाद भी गर्भवती होने के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए तमिलनाड़ु राज्य सरकार को 3 लाख रूपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। इसी के साथ आदेश में ये भी कहा गया है कि जब तक बच्चा 21 साल का नहीं हो जाता, उसकी पढ़ाई का सारा खर्च राज्य सरकार उठाएगी।
मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने कहा कि यदि अब तक याचिकाकर्ता ने बच्चे की पढ़ाई पर किसी भी तरह का खर्च किया होगा तो वो भी उसे लौटाया जाए। बता दें कि थूथुकुडी की एक महिला ने साल 2016 में याचिका दायर की थी और कहा था कि वो एक गृहिणी है और उसका पति खेतिहर मजदूर है। उनके पहले से दो बच्चे थे और 2013 में उसने थूथुकुडी सरकारी मेडिकल कॉलेज से नसबंदी करवाई। इसके बावजूद वो 2014 में प्रेग्नेंट हो गई और 2015 में एक बच्चे को जन्म दिया। उसने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और उनपर एक और बच्चे की परवरिश का बोझ आ गया।
इस याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए जस्टिस बी पुंगलेधी ने कहा कि बच्चे की पूरी शिक्षा का खर्च राज्य सरकार उठाएगी। इसके अलावा 21 साल की उम्र तक बच्चे के अन्य खर्चों की पूर्ति के लिए मासिक 10 हजार और साला एक लाख बीस हजारी की राशि भी पीड़िता को देगी। कोर्ट ने माना कि इसमें चिकित्सकीय लापरवाही है और पीड़िता को एक बार नसबंदी का ऑपरेशन कराने के बाद गर्भधारण रोकने के लिए दुबारा इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, जो उसके लिए कष्टदायक रही।