New Recruitment Rules 2024 in Uttar Pradesh : योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति के लिए चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 को मंजूरी दे दी है। इस नियमावली के तहत अब यूपी सरकार को डीजीपी पद के लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को नाम भेजने की जरूरत नहीं होगी। इसकी बजाय, राज्य सरकार अपनी पसंद के आईपीएस अधिकारी को डीजीपी नियुक्त कर सकेगी।
सोमवार को योगी कैबिनेट ने नई नियमावली को स्वीकृति दे दी। इसी के साथ नए डीजीपी के चयन की प्रक्रिया के लिए एक छह सदस्यीय चयन समिति का गठन किया गया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में पिछले तीन सालों से स्थायी डीजीपी की नियुक्ति नहीं हो सकी है। नई नियमावली बनने से अब यूपी सरकार को डीजीपी की स्थायी नियुक्ति के लिए यूपीएससी की मंजूरी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
यूपी में DGP नियुक्ति की नई व्यवस्था
नए नियम के अनुसार, यूपी के डीजीपी का कार्यकाल अब दो साल का होगा। इसके लिए जो चयन समिति बनाई गई है उसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त हाईकोर्ट न्यायाधीश करेंगे। समिति में प्रदेश के मुख्य सचिव, यूपीएससी और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा नामित एक-एक सदस्य, अपर मुख्य सचिव (गृह विभाग), और एक सेवानिवृत्त डीजीपी शामिल होंगे।
चयन के प्रमुख मापदंड
डीजीपी पद के लिए केवल वे अधिकारी योग्य माने जाएंगे जो वेतन मैट्रिक्स 16 के स्तर में पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत हों। नियुक्ति के लिए सेवा अवधि, उत्कृष्ट कार्य रिकॉर्ड और अनुभव को ध्यान में रखा जाएगा। उम्मीदवार के पास डीजीपी बनने के लिए कम से कम छह महीने की सेवा अवधि बची होनी चाहिए। एक बार नियुक्त होने के बाद, डीजीपी का कार्यकाल न्यूनतम दो साल होगा। हालांकि, प्रदेश सरकार काम से असंतुष्ट होने पर उन्हें हटाने का अधिकार भी रखेगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और अन्य राज्यों की स्थिति
बता दें कि साल 2006 में, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस व्यवस्था को राजनीतिक दबाव से मुक्त करने के लिए राज्यों को नई व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया था। इसके बाद आंध्र प्रदेश, पंजाब और तेलंगाना ने डीजीपी नियुक्ति संबंधी नियमावलियाँ बनाई है। अब, उत्तर प्रदेश ऐसा करने वाला देश का चौथा राज्य बन गया है।
UP में पहले कैसे होती थी डीजीपी नियुक्ति?
उत्तर प्रदेश में पुरानी व्यवस्था के अनुसार, राज्य सरकार पुलिस सेवा में 30 साल पूरा कर चुके अफसरों के नाम यूपीएससी को भेजती थी, बशर्ते उनके कार्यकाल में कम से कम छह महीने बचे हों। यूपीएससी तीन नामों का पैनल बनाकर राज्य सरकार को भेजता था, जिसमें से किसी एक को राज्य सरकार डीजीपी नियुक्त करती थी।
प्रशांत कुमार के नाम पर विचार संभव
वर्तमान में प्रशांत कुमार कार्यवाहक डीजीपी के रूप में कार्यरत हैं और उनका कार्यकाल 31 मई 2025 को समाप्त होगा। चूंकि उनके रिटायर होने में अभी छह महीने से अधिक का समय है, इसलिए माना जा रहा है कि नई नियमावली लागू होने पर चयन समिति उनके नाम पर विचार कर सकती है।