जब कारगिल युद्ध में पायलट नचिकेता को पाक ने बनाया था बंदी, 8 दिन बाद ऐसे लौटे थे भारत

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नई दिल्ली| भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान पर आज पूरे देश को गर्व महसूस हो रहा है। अभिनंदन ने भारतीय सीमा में घुसे पाकिस्‍तानी लड़ाकू विमान को खदेड़ दिया। इस दौरान उनका मिग-21 क्रैश हो गया और वे पैराशूट से बाहर निकल आए, जिसके बाद पाक सेना ने उन्हें पकड़ लिया। पाक के कब्जे में अभिनन्दन को वापस लाने के लिए भारत सरकार ने टूक पाक को चेताया है|  सोशल मीडिया से लेकर हर तरफ अभिनंदन को वापस लेने के लिए अभियान छिड़ा है और हर कोई उनकी जांबाजी को सलाम कर रहा है| भारत ने पाकिस्‍तान के उपउच्‍चायुक्‍त को तलब कर कहा कि कस्टडी में भारतीय जवान को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। साथ ही भारत ने पायलट के जल्द और सुरक्षित वापसी की उम्मीद भी जताई। भारत ने इंडियन एयरफोर्स के घायल जवान के अशिष्ट प्रदर्शन पर पाकिस्‍तान से सख्‍त आपत्ति जताई। साथ ही कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और जिनेवा कन्वेंशन के नियमों का उल्लंघन है।  कुछ इसी तरह 1999 में करगिल युद्ध के दौरान वायुसेना के ग्रुप कैप्टन नचिकेता को भी पाकिस्तान ने अपने कब्जे में ले लिया था। उन्हें अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते 8 दिन बाद रिहा कर दिया गया था। 

26 साल पहले कारगिल युद्ध के दौरान हुआ ऐसा ही वाकया आज के दौर में फिर याद आ गया है। ग्रुप कैप्टन नचिकेता को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया था। उस समय नचिकेता फ्लाइट लेफ्टिनेंट ही थे। भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बाद उन्हें आठवें दिन छोड़ दिया गया था। नचिकेता जब पाकिस्तान की कैद में थे तो उन्होंने कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया गया था। बौखलाई पाकिस्तानी सेना ने उनका उत्पीड़न किया था, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था।   

पाक आर्मी के जवानों ने दी थी यातनाएं 

27 मई 1999 में करगिल युद्ध के समय ग्रुप कैप्टन के. नचिकेता मिग-27 लड़ाकू विमान से पाकिस्तान की सेना के घुसपैठियों पर बमबारी कर रहे थे। उनके हमलों से बटालिक सेक्टर में दर्जनों पाकिस्तानी फौजी मारे जा चुके थे। वे अभी आकाश में ही थे कि तभी उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उसमें आग लगने लगी। लेकिन नचिकेता  घबराए नहीं और वह विमान से सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे लेकिन वह पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र ( पीओके ) के पास स्कार्दू में जा पहुंचे थे। उन्हें पाकिस्‍तानी सैनिकों ने पकड़ लिया| यह स्क्वाड्रन युद्धग्रस्त बटालिक सेक्टर में तैनात था। नचिकेता को 17 हजार फीट की ऊंचाई से 80 एमएम राकेट दागने का जिम्मा दिया गया था।  पाकिस्तान आर्मी के जवान नचिकेता को मानसिक और शारीरिक रूप से  टॉर्चर करते थे. उन्हें मारते-पीटते थे. नचिकेता ने बताया कि वह मुझे बुरी तरह से पीटते थे. साथ ही उनकी कोशिश रहती थी कि भारतीय सेना के बारे में जानकारी दूं| 

रिहाई में पूर्व उच्चायुक्त की रही थी ख़ास भूमिका 

वर्ष 2016 में नचिकेता ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें तीन-चार दिनों तक यातनाएं दी गईं। इस बीच भारत ने पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डाला। आठवें दिन तीन जून, 1999 को उन्हें पाकिस्तान में रेड क्रास को सौंप दिया और वह वाघा बार्डर के रास्ते भारत लौट आए। रिपोर्ट के अनुसार नचिकेता की रिहाई में पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त जी पार्थसारथी का हाथ था उन्होंने ही रिहाई की बातचीत की थी|

वायुसेना पदक से सम्मानित किया गया 

 ग्रुप कैप्टन नचिकेता को वर्ष 2000 में वायुसेना पदक से सम्मानित किया गया था।  नचिकेता 5 जून, 1999 को अपने वतन वापस लौट आए और बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात की। बाद में उन्हें वायुसेना पदक से सम्मानित किया गया था।  अंतरराष्‍ट्रीय मीडिया और संयुक्‍त राष्‍ट्र के सामने झुकते हुए पाकिस्‍तान ने आठ दिन बाद नचिकेता को रेड क्रॉस के हवाले कर दिया। वह वाघा बॉर्डर के रास्‍ते वापस भारत आये थे| 


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