भोपाल| शिवराज सरकार के जाते ही कमलनाथ सरकार के आने के साथ ही मध्य प्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई है कि आखिरकार अब सत्ता की चाबी किन प्रशासनिक अधिकारियों के पास होगी। दरअसल शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल में लंबे समय तक चार पांच अधिकारियों की कॉकस ने जिस तरह से पूरे प्रशासनिक तंत्र को अपनी लपेट में ले रखा था और जो आखिरकार भाजपा सरकार के पतन के कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण बना। इन आईएएस अधिकारियों की मनमर्जी के चलते मध्य प्रदेश के ज्यादातर ब्यूरोक्रेट्स नेपथ्य में चले गए थे और कईयों ने तो मध्य प्रदेश से पलायन हीं कर लिया था। शिवराज सिंह चौहान की सत्ता जाने के बाद अब आईएएस अधिकारियों को उम्मीद बंधी कि शायद उन अधिकारियों को जो लंबे समय से लूप लाइन में पड़े हैं या जिनकी क्षमता का सरकार ने उपयोग किया ही नहीं, उन्हें अवसर मिलेगा। ऐसे अधिकारियों की उम्मीदों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है।
प्रशासनिक गलियारों में सुगबुगाहट तेज है कि अब वही अधिकारी सरकार चलाएंगे जो कभी ना कभी छिंदवाड़ा जिले में पदस्थ रहे हैं। ऐसे अधिकारियों में आईएस गोपाल रेड्डी, संजय बंदोपाध्याय ,मनु श्रीवास्तव, निकुंज श्रीवास्तव और आईपीएस प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव, संजय माने और शैलैष सिंह प्रमुख हैं। इन अधिकारियों में से कुछ के साथ अच्छे संबंधों का लाभ उठाकर शिवराज के सचिवालय के सदस्य रह चुके कुछ अधिकारी भी मुख्यधारा में बने रहने के लिए छटपटा रहे हैं। अब देखना यही है कि क्या नए नवेले मुख्य मंत्री कमलनाथ किसी पूर्वाग्रह के आधार पर सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति करते हैं या फिर प्रशासनिक क्षमता और कार्यकुशलता के आधार पर। क्यों कि चुनौती बड़ी है और सरकार को कुछ करके दिखाना कमलनाथ की सबसे बड़ी प्राथमिकता है|