क्या फिर एमपी से होगा नया लोकसभा अध्यक्ष, दौड़ में इनके नाम

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भोपाल/नई दिल्ली।

17वीं लोकसभा के संसद सत्र से पहले अब सबकी निगाहें लोकसभा अध्यक्ष के पद पर टिक गई है।चारों तरफ एक ही चर्चा है कि अगला लोकसभा स्पीकर कौन होगा। खबर है कि स्पीकर पद के लिए भाजपा में कई नामों पर चर्चा जारी है। इनमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी, एसएस अहलूवालिया, राधामोहन सिंह सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का नाम शामिल है। वही एमपी के टीकमगढ़ से सांसद वीरेन्द्र कुमार खटीक और खंडवा से सासंद नंदकुमार सिंह चौहान का भी नाम चर्चा मे बना हुआ है।हालांकि अंतिम फैसला पार्टी को ही करना है, जिसको लेकर मंथन किया जा रहा है।

      स्पीकर की दौड़ में सबसे पहला नाम मेनका गांधी का है, क्योंकि वह भाजपा के 303 सांसदों में सबसे सीनियर हैं, आठ बार सांसद रह चुकी है। भाजपा की सबसे अनुभवी लोकसभा सदस्य हैं और वह अध्यक्ष पद के लिए स्वाभाविक विकल्प हैं।इसके अलावा उन्हें संसद की कार्यवाही और नियम का इनसाइक्लोपीडिया माना जाता हैं और वे बंगाली, भोजपूरी, असमी, पंजाबी, हिंदी, अंग्रेजी के अलावा कई भाषाओं की जानकार हैं, जो हाउस को चालने में काफी मददगार साबित हो सकती है, ऐसे मे कयास लगाए जा रहे है कि ताई के बाद मेनका को   17वीं लोकसभा में सबसे अनुभवी सांसद होने से उन्हें कार्यवाहक अध्यक्ष चुना जा सकता है। हालांकि भाजपा ने इस पद के लिए मेनका के नाम आगे बढ़ाने पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। 

दूसरा नाम अहलुवालिया का चल रहा है जो पिछली सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री थे और विधायी मामलों में उनकी जानकारी के कारण वह विख्यात हैं। एसएस आहलूवालिया के बारे में कहा जाता है कि उन्हें संसद के कामकाज का अच्छा अनुभव है। 1986 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया गया था। हालांकि बाद में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। 2014 में वे दार्जिलिंग लोसकभा सीट से चुनाव लड़े थे और जीते थे। राज्यसभा में उन्होंने भाजपा के डिप्टी लीडर की भूमिका निभाई थी। साथ ही कुछ समय के लिए संसदीय कार्य राज्यमंत्री के रूप में भी सेवाएं दी थीं।वही राधामोहन सिंह भी छह बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं और उन्हें भी अध्यक्ष पद के लिए एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है। सिंह की संगठन पर गहरी पकड़ है तथा उनकी छवि विनम्र एवं सबको साथ लेकर चलने वाले नेता की है।

एमपी से इन दो दिग्गज नेताओं के नाम भी शामिल

एमपी इसके अलावा एमपी के दो सांसदों का नाम भी चर्चा मे बना हुआ है, इनमें टीकमगढ से छह बार सांसद रह चुके वीरेन्द्र कुमार और खंडवा से पांच बार सासंद रह चुके नंदकुमार का भी नाम शामिल है। वीरेंद्र कुमार सातवीं बार जीतकर सांसद बने हैं। वे मध्यप्रदेश की टीकमगढ़ सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने इस सीट पर पहली बार 1996 में जीत दर्ज की थी। पिछली मोदी सरकार में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था। ऐसे में मंत्री ना बनने के बाद उनकी दलित छवि उनके पक्ष में काम कर सकती है औऱ उन्हें अध्यक्ष बनने का मौका मिल सकता है। वही वहीं नंद कुमार सिंह मध्यप्रदेश में भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं और इस बार खंडवा से जीतकर आए हैं।ऐसे में उनके नाम भी दौड़ मे शामिल हो गया है, हालांकि अंतिम फैसला पार्टी को ही करना है।

पहले भी एमपी से रह चुकी है स्पीकर

इससे पहले एमपी की दिग्गज नेत्री और इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन ताई को स्पीकर बनने का मौका मिला था।वे 8 बार सांसद रह चुकी है, लेकिन इस बार चुनाव नहीं लडी।उनके जगह पार्टी ने शंकर लालवनी को मैदान में उतारा था और वे जीते। जून 2014 में उन्हें लोकसभा स्पीकर चुना गया था। ताई ने स्पीकर के पद पर रहते हुए अपना हर कर्तव्य बखूबी निभाया। ताई से पहले यूपीए के कार्यकाल में मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष चुनी गई थीं। वे देश की पहली महिला स्पीकर थीं। ताई के हटने के बाद एक बार फिर कयास लगना शुरु हो गए है कि अगला स्पीकर फिर एमपी से हो सकता है, हालांकि इस पर पार्टी को ही अंतिम फैसला करना है।

बता दे कि अब 17वीं लोकसभा में संसद का पहला सत्र 17 जून से 26 जुलाई तक चलने वाला है।17 जून को शुरू हो रहे संसद के पहले सत्र में 17 जून और 18 जून को प्रोटेम स्पीकर सभी सांसदों को शपथ दिलाएंगे। वहीं 19 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव किया जाएगा। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के उम्मीदवार को इस पद के लिए चुना जाना तय है क्योंकि 542 सदस्यीय सदन में लगभग दो तिहाई बहुमत है।19 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होने के बाद 20 जून से बजट सत्र की शुरुआत होगी। 5 जुलाई को बजट पेश किया जाएगा।


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