सर्दियों में जी भरकर पिएं मूली के पत्तों का जूस, सेहत को होंगे कई फायदे

Gaurav Sharma
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हेल्थ, डेस्क रिपोर्ट। सर्दी और मूली दोनों का गहरा नाता है। सर्दी में ताजी ताजी मूली देखकर ही मूली के पराठें, मूली की भाजी या सलाद में मूली न जाने कितने आइटम याद आन लगते हैं। वैसे तो मूली के पत्ते मिलाकर ही मूली की भाजी तैयार की जाती है पर, इसके पत्तों का और भी कई तरह से उपयोग हो सकता है। अगर आप ताजी मूली के पत्तों को बेकार समझ कर फेंक देते हैं तो जरा रूकिए क्योंकि ये हरे भरे पत्ते कितने फायदेमंद हो सकते हैं आपको इसका अंदाज़ शायद नहीं है। इतना ही नहीं अनेकों फायदों के साथ मूली के पत्ते कई रोगों का असरदार इलाज भी साबित हो सकते हैं। जानते हैं क्या हैं फायदे।

प्रोटीन से भरपूर

मूली के पत्तों में भरपूर मात्रा में प्रोटीन तो होता ही है इसके अलावा क्लोरीन, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, मैग्नीशियम भी अच्छी मात्रा में होता है, ये सभी मिनरल्स शरीर के लिए जरूरी हैं। इसलिए मूली के पत्तों का रस या सूप जैसे भी पी सकें, पी लेना चाहिए।

मूली के रस से घटेगा वजन

मूली के पत्तों के पोषक तत्व मेटाबॉलिज्म को भी अच्छा रखते हैं, ऐसे में अगर आप मूली के पत्तों के रस को डेली डाइट में शामिल कर लेंगे तो सर्दियों में भी तेजी से वजन घटा सकेंगे।

डाइजेश होगा दुरूस्त

मूली के पत्तों में फाइबर्स की मात्रा भी कम नहीं होती, इसमें मौजूद फाइबर्स डाइजेशन को ठीक रखने में कारगर होते हैं। अगर आपको पाचन से जुड़ी कोई समस्या है तो मूली के पत्तों का रस पीकर देखिए।

ब्लडप्रेशर के लिए

अगर आपका बीपी लो रहता है तो मूली के पत्तों का रस आपका बीपी संतुलित रख सकता है। इसमें सोडियम की मात्रा अच्छी होती है जिस वजह से लो बीपी के मरीजों का बीपी सामान्य होने की संभावना बढ़ जाती हैं।

मसूड़ों के लिए

मसूड़ों में अगर कोई तकलीफ है तो मूली के पत्तों को चबा कर खाएं इससे मसूड़ों से संबंधित कई तकलीफों में आराम मिल सकता है।

ऐसे बनाए मूली के पत्तों का रस

मूली के पत्तों का रस बनाना बहुत आसान है। बस मूली की भाजी लीजिए,उसे अच्छे से धोएं और मिक्सर में डालकर पीस लें, इसमें थोड़ा सा नमक डालकर पी जाएं। बहुत से लोग मूली की तेजाई बर्दाश्त नहीं कर पाते, अगर ऐसी कोई स्थिति है तो मूली के रस की जगह उसका सूप पिएं। इसके लिए पत्तों को पानी में डालकर उबालें, गैस बंद करने के बाद कुछ देर पानी को ढंक कर रखा रहने दे, पीने से पहले उसमें नमक डालें।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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