पटाखों की चकाचौंध में छिपा है खतरा, बच्चों को रखें सावधान, जानें आतिशबाजी के ये बड़े नुकसान

Health: दिवाली का त्योहार खुशी और उत्साह का समय होता है, लेकिन इस दौरान पटाखों की चकाचौंध में कई खतरे भी छिपे होते है। खासकर बच्चों के लिए, जो पटाखों के साथ खेलते हैं या उन्हें जलाते हैं। आइए जानें कि आतिशबाजी से बच्चों को कौन-कौन से बड़े नुकसान हो सकते हैं।

भावना चौबे
Published on -
Health

Health: दिवाली पर पटाखे चलाना हर किसी के लिए खुशी की बात होती है, खासकर बच्चों के लिए। बच्चे दिवाली का त्योहार मतलब पटाखों फोड़ने का त्योहार समझते हैं। बच्चे पटाखे की चमक और आवाज से बहुत खुश होते हैं। तरह-तरह के पटाखे फोड़ने के लिए बच्चे साल भर दिवाली के त्यौहार का इंतजार करते हैं और जैसे ही दिवाली का महीना शुरू होता है। वैसे ही धनतेरस से बच्चे पटाखे फोड़ना शुरू कर देते हैं। कई बच्चे तो दशहरे के बाद से ही पटाखे फोड़ना शुरू कर देते हैं।

लेकिन यह पटाखे उनकी आंखों के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। तेज आवाज और चमकीले प्रकाश के कारण आंखों में गंभीर चोटे लग सकती है। यही कारण है कि अक्सर दिवाली के बाद तमाम खबरें हमारे सामने आती है जिसमें पटाखों के नुकसान और पटाखे से किस-किस को क्या-क्या चोटे आई हैं, इसके बारे में बताया जाता है। इसलिए पटाखे फोड़ते समय बेहद सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

पटाखों से जुड़ी सावधानियां (Impact of Fireworks on Children)

आपने अक्सर अपने आसपास गली मोहल्ले में देखा होगा कि बच्चे सिर्फ पटाखे फोड़ते ही नहीं है बल्कि पटाखों के साथ अलग-अलग तरह का स्टंट करते भी नजर आते हैं। यही कारण है कि कई बार पटाखों की वजह से लोगों की जान तक चली जाती है। ऐसे में माता-पिता को बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है, साथ ही साथ बच्चों को पटाखों का नुकसान बताने की भी जरूरत है, जिससे कि बच्चे पटाखे फोड़े लेकिन सावधानी के साथ। कोशिश करें कि बच्चे पटाखे माता-पिता या किसी बड़े बुजुर्ग की आंखों के सामने रहते ही फोड़े , जिससे की अगर वह किसी भी प्रकार का स्टंट करें या पटाखों के साथ कोई ऐसा काम करें जिससे उन्हें चोट लग सकती है, तो बड़े लोग उन्हें रोक सके।

पटाखों से बच्चों को हो सकते हैं ये गंभीर नुकसान

  • आतिशबाजी आंखों को गंभीर चोटें पहुंचा सकती हैं। खासकर उन बच्चों के लिए जो पटाखे को नजदीक से जलाते हैं। चिंगारी, मलबा या विस्फोट आंखों में जलन कट या अन्य तरह की चोटें पहुंचा सकता है। यह चोटें आंखों को लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे देखने में परेशानी या गंभीर समस्याएं हो सकती है।
  • कभी कभार आतिशबाजी से चोट लगने पर दृष्टि का आंशिक किया पूरा नुकसान हो सकता है। कई बार पटाखों की वजह से आंखों का कॉर्निया चोटिल होने से बच्चों की देखने की क्षमता पर गंभीर असर पड़ता है। ऐसे मामलों में नुकसान इतना बड़ा हो सकता है, कि उसे भरना मुश्किल होता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि बच्चों को आतिशबाजी के दौरान सुरक्षित रखा जाए जिससे कि उनकी आंखें सुरक्षित रह सके।
  • एक्सपोर्ट के मुताबिक कई बार आतिशबाजी से लगने वाली चोटों के लक्षण तुरंत नहीं दिखाई देते हैं। शुरुआत में बच्चा ठीक लग सकता है, लेकिन कुछ हफ्तों या महीना बाद इस धुंधली दृष्टि या रोशनी के प्रति संवेदनशीलता जैसी समस्याएं हो सकती है। इसलिए माता-पिता को सतर्क रहना चाहिए। बच्चों की आंखों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
  • आतिशबाजी से आंखों के पीछे मौजूद रेटिना को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। रेटिना की चोटें लंबे समय तक दृष्टि से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकती है और अगर यह गंभीर हो जाए, तो इससे अंधापन भी हो सकता है। इसलिए बच्चों को पटाखों से दूर रखना बेहद जरूरी है, ताकि उनकी आंखों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

About Author
भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

Other Latest News