Mouth Breathing : अक्सर लोग जब सोते हैं तो वह गहरी नींद में चले जाते हैं। सुकून भरी नींद के दौरान उन्हें एक बुरी आदत भी लग जाती है, जैसे कि मुंह से सांस लेना यह इतनी बुरी आदत है कि इसका खामियाजा आपको आगे चलकर भुगतना पड़ सकता है। इसका बॉडी के हर एक पार्ट पर असर देखने को मिलता है। मुंह से सांस लेने की आदत, जिसे मुंह से ब्रीथिंग या माउथ ब्रीथ कहा जाता है। स्टडी के मुताबिक, मुंह खोलकर सोने से हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ जाता है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपके मुंह खोलकर सोने के नुकसान बताएंगे। आइए जानते हैं विस्तार से…
जानें इसके नुकसान
- मुंह खोलकर सोने से सलाइवा की कमी होती है, जिससे मुंह में बैक्टीरिया की वृद्धि होती है। बता दें कि सलाइवा मुंह को स्वच्छ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सलाइवा की कमी से मुंह में बैक्टीरिया की वृद्धि होती है, जिससे बदबू की समस्या हो सकती है।इसकी कमी से इन्फेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। जिसके कारण दांत में कीड़े भी लग जाते हैं। इसके अलावा, मुंह के कैविटीज का खतरा भी बढ़ जाता है।
- मुंह खोलकर सोने वाले लोगों को हार्ट अटैक का जोखिम ज्यादा होता है। दरअसल, जब आप मुंह खोलकर सोते हैं, तो शरीर को उतनी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता जितना जरूरी होता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलता है, तो यह ब्लड फ्लो को भी प्रभावित कर सकता है। इससे रक्तचाप का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए हार्ट अटैक का जोखिम भी रहता है।
- बता दें कि मुंह खोलकर सोने से अस्थमा की समस्या बढ़ सकती है। दरअसल, इस दौरान सांस लेना अधिक कठिन हो जाता है। इससे अधिक तकलीफ हो सकती है। इसके अलावा, मुंह से सांस लेने की आदत गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है, जिससे ड्राय माउथ और मुंह के इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए अस्थमा रोगियों को मुंह खोलकर सोने से बचना चाहिए।
- मुंह खोलकर सोने से होंठों के फट जाता है। यह तरल पदार्थों की कमी होने के कारण होता है। इनमें सूखापन आ जाता है। इसके अलावा, मुंह के तरल पदार्थों की कमी से खाना निगलने में भी दिक्कत हो सकती है। साथ ही सुबह उठने के बाद उल्टी की समस्या भी हो सकती है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)