अंगदान को क्यों माना जाता है जीवनदान, जानें देश में क्या हैं इसके नियम

Organ Donation: पिछले साल हजारों लोगों ने मौत के बाद अपने अंग डोनेट किए लेकिन ऑर्गन की जरूरत के हिसाब से यह आंकड़े बहुत कम है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम मन की बात के साल 2024 के पहले एपिसोड में अंगदान को 'जीवनदान' के रूप में वर्णित करते हुए लोगों से इस पुण्य कार्य में आगे आने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि अंगदान से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है और यह एक महान दान है।

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Organ Donation: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2024 के मन की बात कार्यक्रम के पहले एपिसोड में अंग दान यानी ऑर्गन डोनेशन को लेकर बात की। उन्होंने लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित किया। आपको बता दें, कि पिछले साल हजारों लोगों ने मौत के बाद अपने अंग डोनेट किए लेकिन ऑर्गन की जरूरत के हिसाब से यह आंकड़े बहुत कम है। भारत में ऑर्गन डोनेशन को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है। इसी के चलते आज हम आपको विस्तार में बताएंगे की इसका प्रोसेस क्या है और भारत में ऑर्गन डोनेशन को लेकर क्या कानून है।

क्या होता है ऑर्गन डोनेशन

दरअसल, हमारे शरीर के कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें खराब होने के बाद रिप्लेस किया जा सकता है। जैसे हार्ट, लिवर, किडनी, पेनक्रियाज और आंखों का कॉर्निया। डॉक्टर किसी जीवित या मृतक के शरीर से अंग लेकर दूसरे व्यक्ति की बॉडी में ट्रांसफर करते हैं। अंगदान करने वाले व्यक्ति को डोनर कहा जाता है और जिसे दान किया जाए उसे रिसीवर कहते हैं। ऑर्गन डोनेशन दो टाइप के होते हैं एक लिविंग ऑर्गन डोनेशन होता है और दूसरा डिसिज्ड ऑर्गन डोनेशन होता है होता है। लिविंग ऑर्गन डोनेशन वो होता है जिसमे आप जिंदा रहते हुए ऑर्गन्स को डोनेट कर सकते हैं। जैसे किडनी और पार्शियल लीवर। डिसिज्ड ऑर्गन वह होते हैं जिन ऑर्गन को मृत्यु के बाद डोनेट किया जाता है। इन अंग से कई लोगों को नया जीवन प्राप्त होता है।

लिविंग ऑर्गन डोनेशन का प्रोसेस क्या है

लिविंग ऑर्गन डोनेट करने के लिए पहले दाता के कुछ मेडिकल टेस्ट होते हैं। इन टेस्ट की मदद से डॉक्टर दाता और रिसीवर की कंपैटिबिलिटी साथ ही साथ डोनर की मेडिकल कंडीशन को चेक करते हैं। अगर टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव आता है तब ही दिनार अपना ऑर्गन डोनेट कर सकता है। ऑर्गन डोनेट करने के बाद कई हफ्तों तक डोनर का भी खास ख्याल रखा जाता है।

डिसीज्ड ऑर्गन डोनेशन की क्या प्रक्रिया है

डिसीस्ड ऑर्गन डोनेशन की प्रक्रिया काफी अलग है। इस डोनेशन को करने के लिए पहले मृतक के परिवार वालों की सहमति चाहिए रहती। परिवार की सहमति के बाद डॉक्टर मृतक के शरीर से सर्जरी के द्वारा डोनेट किए जाने वाले अंगों को निकलते हैं। इसके बाद मृतक का शरीर परिवार वालों को लौटा दिया जाता है।

अंगदान को लेकर क्या कानून है

भारत में अंगदान को लेकर ‘ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एंड टिश्यूज एक्ट, 1994’ कानून है। यह कानून अंगदान और प्रत्यारोपण के लिए एक ढांचा प्रदान करता है। इस कानून के अनुसार:

1. 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति अंगदान कर सकता है।
2. मृत्यु के बाद अंगदान स्वीकार करने के लिए परिवार की सहमति आवश्यक है।
3. जीवित रहते हुए भी कुछ अंगों का दान किया जा सकता है, जैसे कि किडनी और लीवर।
4. अंगदान के लिए पंजीकरण करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह प्रक्रिया को आसान बनाता है।

कैसे कर सकते हैं अंगदान

आप ‘ऑर्गन डोनेशन कार्ड’ प्राप्त करके और उसे भरकर अंगदान के लिए पंजीकरण कर सकते हैं। यह कार्ड अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में उपलब्ध होता है। आप नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (NOTTO)’ की वेबसाइट https://notto.gov.in/ पर जाकर भी ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। आप ‘मोदीकेयर ऐप’ के माध्यम से भी अंगदान के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।

अंगदान के क्या-क्या लाभ हैं

1. अंगदान से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।
2. यह एक पुण्य कार्य है जो दूसरों को जीवन देने का अवसर प्रदान करता है।
3. अंगदान से समाज में जागरूकता बढ़ती है और लोगों को जीवन के प्रति आशा मिलती है।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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