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Sun, Dec 14, 2025

आउटसोर्सिंग भर्ती नियम को असंवैधानिक घोषित करने की मांग, ह्यूमन ट्रैफिकिंग से की गई तुलना, हाई कोर्ट में याचिका दायर

Written by:Atul Saxena
याचिका में कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग की तुलना ह्यूमन ट्रैफिकिंग से की गई है। 8 घण्टे नौकरी... 8 घण्टे आराम... और 8 घण्टे निजी काम.... सम्मान के साथ श्रम के इस मूलमंत्र के उल्लंघन की बात कही गई है
आउटसोर्सिंग भर्ती नियम को असंवैधानिक घोषित करने की मांग, ह्यूमन ट्रैफिकिंग से की गई तुलना, हाई कोर्ट में याचिका दायर

Jabalpur News : हमारा संविधान मेहनत से कमाई करने वाले सभी मज़दूरों को सम्मान और बराबरी देने की पैरवी करता है। कल 1 मई मजदूर दिवस पर भी इसे लेकर बड़ी बड़ी बातें हुई, मजदूरों के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किये गए लेकिन हकीकत इससे उलट है, इसका उदाहरण है शासकीय विभागों में नियुक्त किये जाने वाले आउटसोर्स कर्मचारी , क्योंकि नियमित और संविदा कर्मचारियों की तरह आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को ये बराबरी नहीं मिलती। इसी वजह से जबलपुर हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर उस नियम को ही असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है जिसके बूते सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों को हायर करती है।

आउटसोर्सिंग की तुलना ह्यूमन ट्रैफिकिंग से

याचिका में कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग की तुलना ह्यूमन ट्रैफिकिंग से की गई है। 8 घण्टे नौकरी… 8 घण्टे आराम… और 8 घण्टे निजी काम…. सम्मान के साथ श्रम के इस मूलमंत्र के साथ श्रमिकों ने दुनिया भर में आंदोलन किए। लेकिन आज भी कर्मचारियों में गैर-बराबरी की बहस जारी है, ऐसा ही एक मुद्दा है नियमित कर्मचारियों बनाम आउटसोर्स कर्मचारियों का, सरकारें अपने विभागों में नियमित और संविदा कर्मचारियों की भर्ती करती आईं हैं लेकिन मध्य प्रदेश में साल 2015 में बनाए गए एक नियम के बाद विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों की बाढ़ सी आ गई।

आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के एक्सप्लॉयटेशन का मुद्दा

इस नियम का नाम है मध्य प्रदेश भण्डार, क्रय एवं सेवा उपार्जन नियम 2015, जिसकी धारा 32 सरकार को निजी एजेंसियों से कर्मचारी, आउटसोर्सिंग से हायर करने की छूट देती है, वस्तुओं की तरह कर्मचारियों को हायर करने की इस छूट को अब हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है, अजाक्स यानि मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ ने जबलपुर हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है, इसमें आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के एक्सप्लॉयटेशन का मुद्दा उठाया गया है और इस नियम को हाईकोर्ट से असंवैधानिक ठहराने की मांग की गई है।

आउटसोर्सिंग से भर्ती प्रक्रिया बंद करने की मांग

हाई कोर्ट में दायर इस याचिका में कहा गया है कि सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग से कर्मचारियों की भर्ती से ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसी स्थिति बन गई है, जहां एक तरह से कर्मचारियों को एजेंसियों से कम दामों पर हायर किया जाता है और उन्हें अपनी आवाज़ अदालतों में उठाने का अधिकार भी नहीं मिलता। याचिका में सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग से भर्ती प्रक्रिया बंद करने की मांग की गई है।

इन्हें बनाया गया पक्षकार, 5 मई को होगी सुनवाई 

हाई कोर्ट ने इस याचिका पर 5 मई को सुनवाई तय की है। वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि अजाक्स  की इस जनहित याचिका में मध्य प्रदेश सरकार, श्रम विभाग और दीगर विभागों को आउटसोर्सिंग की छूट देने वाले वित्त विभाग को पक्षकार बनाया गया है। देखना दिलचस्प होगा कि एमपी हाईकोर्ट इस याचिका पर आगे क्या फैसला सुनाती है।

 जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट