उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में स्थित स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय (Autonomous State Medical College) में रैगिंग का एक गंभीर मामला सामने आया है। मेडिकल शिक्षा की गरिमा को धूमिल करने वाली इस घटना पर कॉलेज प्रशासन ने त्वरित और सख्त कार्रवाई की है। प्रथम वर्ष के छात्रों द्वारा की गई शिकायत के आधार पर एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के 97 छात्रों को सामूहिक रूप से निलंबित कर दिया गया है।
कॉलेज प्रशासन ने अनुशासनहीनता को गंभीरता से लेते हुए इन सभी छात्रों पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह निलंबन एक महीने के लिए प्रभावी रहेगा। इस कार्रवाई से कॉलेज परिसर में हड़कंप मच गया है।
एंटी रैगिंग पोर्टल पर मिली थी शिकायत
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. हरिओम कुमार सिंह ने बताया कि कॉलेज प्रशासन को एंटी रैगिंग पोर्टल के माध्यम से शिकायत मिली थी। शिकायत में जूनियर छात्रों के साथ रैगिंग की बात कही गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल एक एंटी रैगिंग टीम से प्रारंभिक जांच कराई गई।
प्रिंसिपल ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और सरकार की मंशा स्पष्ट है कि शिक्षण संस्थानों में रैगिंग मुक्त माहौल होना चाहिए। छात्र बिना किसी दबाव के अपनी पढ़ाई कर सकें, इसके लिए हमने यह सख्त कदम उठाया है।”
दोषियों की पहचान के लिए कमेटी गठित
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल एहतियातन पूरे बैच के खिलाफ कार्रवाई की गई है, लेकिन असली दोषियों की पहचान के लिए एक विस्तृत जांच कमेटी गठित कर दी गई है। प्रिंसिपल डॉ. सिंह के अनुसार, जांच कमेटी की फाइनल रिपोर्ट एक-दो दिन में आ जाएगी।
“अभी कमेटी की रिपोर्ट आनी बाकी है। आमतौर पर पूरा बैच इसमें शामिल नहीं होता, बल्कि कुछ ही छात्र ऐसी गतिविधियों में लिप्त होते हैं। जांच रिपोर्ट में जिन छात्रों की संलिप्तता पाई जाएगी, उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी। बाकी निर्दोष छात्रों का निलंबन वापस ले लिया जाएगा और उनकी कक्षाएं दोबारा शुरू कर दी जाएंगी।” — डॉ. हरिओम कुमार सिंह, प्रिंसिपल
परिजनों को दी गई सूचना
कॉलेज प्रशासन ने पारदर्शिता बनाए रखने के लिए छात्रों के अभिभावकों को भी सूचित किया है। प्रिंसिपल ने बताया कि छात्रों के परिजनों का एक ग्रुप बना हुआ है, जिसके माध्यम से उन्हें नोटिस भेज दिया गया है। जब जांच रिपोर्ट में दोषी छात्रों के नाम स्पष्ट हो जाएंगे, तो उनके अभिभावकों को कॉलेज बुलाकर पूरी स्थिति से अवगत कराया जाएगा। उसके बाद कमेटी की सिफारिशों के आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
गौरतलब है कि यह मेडिकल कॉलेज वर्ष 2024 में ही संचालित हुआ है और शुरुआती दौर में ही रैगिंग की इस घटना ने कॉलेज की अनुशासन व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, प्रशासन की इस त्वरित कार्रवाई को अनुशासन बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।





