भारत के लिए आज बुधवार 10 दिसंबर का दिन गर्व का दिन है यूनेस्को (UNESCO) ने भारत के प्रमुख त्योहार दीपावली को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर यानि अमूर्त विरासत (Intangible Cultural Heritage) की सूची में शामिल कर लिया है, यह फैसला यूनेस्को की अंतरराष्ट्रीय समिति की बैठक में लिया गया, जिससे भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर नई मान्यता मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर भारत के लोगों को बधाई दी है।
दीपावली अब यूनेस्को की अमूर्त धरोहर सूची में
भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक रोशनी का त्योहार अब दुनिया को रोशन करेगा, यूनेस्को ने इसे आधिकारिक रूप से इसे अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल कर लिया है, इस सूची में शामिल होने वाली ये भारत की 16 वीं धरोहर है जिसे यूनेस्को ने मान्यता दी है।
अमूर्त विरासत में शामिल होने के मायने
दिवाली यानि दीपावली को विश्व की धरोहर के रूप में मान्यता दिया जाना केवल औपचारिक मान्यता नहीं है, बल्कि यह संदेश है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत समय, सीमाओं और भाषाओं से बंधी नहीं है बल्कि बहुत आगे है। यूनेस्को ने ये घोषणा कर दीपावली त्योहार को परंपरा से उठाकर वैश्विक ऊंचाई पर पहुँचा दिया है । यह भारत के लिए नया सिर्फ गर्व का पल है बल्कि दुनिया के लिए सीख का पल भी है कि सांस्कृतिक रोशनी किसी भी देश से निकली हो ये पूरी दुनिया को रोशन कर सकती है ये सीमाओं में नहीं बंधती।
PM Modi ने दी देशवासियों को बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली को यूनेस्को की सूची में शामिल किए जाने पर खुशी जताई है आउएर देश्वसियों को बधाई दी है, उन्होंने X पर लिखा – भारत और दुनिया भर के लोग रोमांचित हैं। हमारे लिए, दीपावली हमारी संस्कृति और लोकाचार से बहुत गहराई से जुड़ी हुई है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह प्रकाश और धार्मिकता का प्रतीक है। यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में दीपावली के शामिल होने से इस त्यौहार की वैश्विक लोकप्रियता और भी बढ़ जाएगी। प्रभु श्री राम के आदर्श हमें अनंत काल तक मार्गदर्शन करते रहें।
भारत की 15 प्रमुख विश्व धरोहर परंपराएं पहले से शामिल
दिवाली के जुड़ने से पहले भारत की 15 प्रमुख सांस्कृतिक परंपराएं यूनेस्को की सूची में शामिल हो चुकी हैं।
- कुंभ मेला
- रामलीला परंपरा
- योग
- नवरोज त्योहार
- कुदियाट्टम
- कालबेलिया नृत्य (राजस्थान)
- चौह नृत्य
- बौद्ध चैत्य नृत्य
- वैद्यकीय परंपराएं (आयुर्वेदिक ज्ञान)
- रंजीतगढ़ ढोल कल्चर
- गरबा (गुजरात)
- सांइत (लोक नाट्य परंपरा)
- मुदियेट्टू (केरल)
- छऊ मुखोटा कला
- दुर्गा पूजा उत्सव (कोलकाता)
यह पर्व भारत की आध्यात्मिकता, विविधता और सामाजिक एकता को दर्शाता है. यूनेस्को का यह कदम भारतीय परंपराओं को संरक्षित करने और विश्वभर में उनके महत्व को बढ़ाने में मदद करेगा.





