Airplane Windows: आजकल ज्यादातर लोग लंबी दूरी की यात्रा के लिए फ्लाइट को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि इससे समय की काफी बचत होती है। हालांकि ऐसा कभी न कभी सबके साथ होता है कि फ्लाइट में यात्रा करते समय कई सवाल मन में आए हो। कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि, फ्लाइट की खिड़कियां छोटी और गोल क्यों होती हैं? दरअसल यह सवाल ज्यादातर यात्रियों के मन में आता है। तो चलिए आज इस खबर में हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे है।
जानिए इसकी क्या है वजह?
दरअसल फ्लाइट में सफर करते समय यात्री अक्सर सोचते हैं कि वायुयानों की खिड़कियां हमेशा गोल और छोटी क्यों होती हैं। इसके पीछे की वजह आखिर क्या है? तो आपको बता दें कि, विमान ऊंचाई में उड़ते समय में अधिक दबाव और तापमान का सामना करते हैं। इसीलिए फ्लाइट के खिड़कियां छोटी रहती हैं ताकि उन पर दबाव न हो, और यात्री इतनी ऊंचाई पर और हवा के इतने दवाव में भी सुरक्षित रहें। इससे विमान के केबिन में भी कोई फर्क नहीं पड़ता है, जिससे संरचना में संतुलन बना रहता है। ऐसा करने से यात्रियों की सुरक्षा बढ़ जाती है, खासकर आपात स्थितियों में भी यह खिड़कियां सुरक्षित रहती है।
विमान की खिड़कियां विमान का है महत्वपूर्ण हिस्सा:
वहीं सिंपल फ्लाइंग की एक रिपोर्ट की माने तो, विमान की खिड़कियां उसकी संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन्हें इसीलिए छोटा बनाया जाता है क्योंकि बड़ी खिड़कियां विमान की संरचना को कमजोर बना सकती हैं। दरअसल बड़ी खिड़कियों से हवा के सुचारू प्रवाह में बाधा होती है, जिससे विमान को खिंचाव महसूस होता है और उसकी दक्षता प्रभावित होती है। जबकि छोटी खिड़कियां सुरक्षित और स्थिरता बनाए रखने में मदद करती हैं, विशेषकर उन अद्वितीय परिस्थितियों में जब विमान किसी बाहरी वस्तु से टकरा सकता है।
जानिए फ्लाइट की विंडो के गोल होने का कारण:
दरअसल आप फ्लाइट में सफर करते हैं या फ्लाइट की तस्वीरें देखते हैं, तो आपको यह ध्यान में आया होगा कि विमान की खिड़कियां हमेशा गोल होती हैं। लेकिन क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है कि यह हमेशा गोल ही क्यों होती है? दरअसल इसका मुख्य कारण यह है कि गोल खिड़कियां विमान के लिए समान दबाव बनाए रखती हैं, जिससे विमान का संरचना समान रूप से एक जैसा रहता है।
जानकारी के अनुसार फ्लाइट डिजाइन की शुरुआती दिनों में, जब विमान को अधिक ऊंचाई पर ले जाया जाता था, तब दो हादसे हुए थे जिनकी वजह से गोल विंडो की मांग बढ़ी थी। जिसके चलते, 1940 के बाद से विमानों में गोल खिड़कियों का इस्तेमाल किया जाने लगा।