Divorce Temple : तलाक एक विवाहित जोड़े के विचारधारा और समाजी बंधनों को तोड़ने का एक प्रक्रिया है और यह किसी भी पक्ष के लिए दुःखद होता है। तलाक के बाद, दोनों पति और पत्नी को अपने नये जीवन को आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए और साथ ही तलाक के परिणामस्वरूप होने वाले बच्चों को भी समर्पित रूप से देखभाल करनी चाहिए। बता दें कि तलाक के प्रभाव केवल पति-पत्नी ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को भी प्रभावित करता है। इससे परिवार के सदस्यों के बीच अनबन और तनाव बढ़ता है। तो चलिए आज हम आपको एक ऐसी मंदिर के बारे में बताते हैं, जहां महिलाओं को न्याय मिलता है।
मंदिर को बनाने का उद्देश्य
मातसुगोका टोकेई-जी (Matsugaoka Tokeiji) जो डिवोर्स टेम्पल के रूप में भी जाना जाता है। यह एक मंदिर है जो 1285 में स्थापित किया गया था। यह उन महिलाओं के लिए खुला था जो घरेलू हिंसा और अत्याचार से पीड़ित हो रही थीं और जिन्हें तलाक के लिए संयम नहीं मिल रहा था। इस मंदिर को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य था कि महिलाएं इसकी शरण में आकर अपने पति से मुक्त हो सकें और एक नया जीवन शुरू कर सकें। मातसुगोका टोकेई-जी में महिलाओं को संगठित रूप से रहने की सुविधा प्रदान की जाती थी और वे अपने शांति और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संगठित रह सकती थीं।
इस मंदिर में आने के लिए महिलाओं को एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से गुजरना पड़ता था। वे अपने पति को चुपचाप छोड़कर मंदिर में आती थीं और तब तक वहां रहती थीं जब तक कि उन्हें विचार और ध्यान करने का अधिकार प्राप्त नहीं होता। वे यहां सैकड़ों महिलाओं के साथ रहती थीं जो उनके संग इस नई यात्रा का समर्थन करती थीं। यह मंदिर महिलाओं के लिए एक सांस्कृतिक और सामाजिक स्थल बन गया और उन्हें सामाजिक रूप से मान्यता दिलाई गई। यह समाज में एक महिला के लिए तलाक लेने की पहली कानूनी संरचना थी, जिसने उन्हें उनके तानाशाह पति से मुक्ति दिलाई और उन्हें अपने जीवन का नियंत्रण प्राप्त करने में मदद की।
टोकेई-जी मंदिर का इतिहास
काकूसान-नी ने मातसुगोका टोकेई-जी की स्थापना की थी। वे स्वयं भी एक विवाहित महिला थीं जो अपने विवाहित जीवन से निराश थीं और तलाक लेने का कोई साधारित तरीका नहीं था। होजो टोकीमून को अपने पति के अत्याचार और उत्पीड़न से बहुत पीड़ा हुई थी और उन्होंने महसूस किया कि ऐसे अन्य महिलाओं को भी समान समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए उन्होंने मंदिर की स्थापना करके उन महिलाओं की मदद करने का उद्देश्य रखा। यहां आने वाली महिलाओं को उनके पतियों की सताने और उत्पीड़न के बाद उन्हें सुरक्षित माहौल में रहने की सुविधा प्रदान की जाती थी।
यह मंदिर महिलाओं को एक स्वतंत्र और सुरक्षित माहौल प्रदान करता था, जहां वे अपनी आत्मविश्वास को बढ़ा सकती थीं और उन्हें अपने जीवन के नियंत्रण में आजादी मिलती थी। इस मंदिर का संचालन महिलाओं द्वारा ही होता था और वे विभिन्न कार्यों में संलग्न रहती थीं जैसे कि ध्यान, धर्मिक अभ्यास और व्यायाम।
मंदिर देता है सर्टिफिकेट
मातसुगोका टोकेई-जी मंदिर में तलाक प्राप्त करने वाली महिलाओं को एक सर्टिफिकेट दिया जाता है जो कानूनी रूप से तलाक की पुष्टि करता है। इसे वह अपनी आजादी का प्रमाण पत्र के रूप में उपयोग कर सकती हैं। यह सर्टिफिकेट उन्हें समाज में तलाकशुदा महिलाओं के अधिकारों की पहचान दिलाता है और उन्हें खुशहाली के साथ अपनी जिंदगी आगे बिताने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)