लाइफस्टाइल, डेस्क रिपोर्ट | भारत एक ऐसा देश है जहां सभी देवी, देवताओं का वास होता है। यहां पूरब में अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम की द्वारका तक, उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण के कन्याकुमारी तक हर कोने में देवी देवताओं का वास होता है। कहते हैं यहां भगवान स्वयं वास करते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते है। सभी की इच्छाओं को पूरा भी करते हैं साथ ही, उनके कष्टों का निवारण भी करते हैं। इसके अलावा भारत के हर कोने में ऋषि-मुनियों का भी वास रहा है। ऐसे में भारत के हर कोने में ऐसी कई सारी रहस्यमयी जगहें हैं, जहां से अब तक उन राज पर से पर्दाफाश नहीं हो पाया है, तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे जहां हर परिवार में जुड़वां बच्चे ही पैदा होते हैं, जिस पर से वैज्ञानिक भी पर्दा नहीं उठा सके हैं।
यह भी पढ़ें – छिंदवाड़ा में युवक युवती के शव मिले, कुल्हाड़ी और रॉड मारकर की गई बेरहमी से हत्या
केरल राज्य के मलप्पुरम जिले में स्थित कोडिन्ही गांव है, जहां हर किसी के परिवार में जुड़वां बच्चे ही पैदा होते हैं। बता दें कि इस गांव में हजार बच्चे में से 45 ट्विन्स बच्चे जन्म लेते हैं। बता दें कि इस गांव में लगभग 2 हजार परिवार बसा हुआ है। अब इसे भगवान का चमत्कार कहें या फिर प्रकृति लेकिन यहां हर परिवार में जुड़वा बच्चे ही जन्म लेते है। जिसे लेकर वैज्ञानिक लगातार शोध में लगे हुए हैं लेकिन अभी तक इसके पीछे का रहस्य नहीं पता लगा पाए हैं।
यह भी पढ़ें – जब भगवान इंद्र देव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने पुलिस थाने पहुंचा किसान, पढ़ें पूरी खबर
बता दें कि कोडिन्ही गांव में कम-से-कम 400 जोड़े जुड़वां बच्चे हैं। एक आधिकारिक अनुमान के मुताबिक साल 2008 में इस गांव में 280 जुड़वां बच्चों ने जन्म लिया था। जिसके बाद से इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। इतना ही नहीं कभी आप इस गांव में जाएगें तो यहां एक ब्लू बोर्ड भी दिखाई देगा, जिसपर लिखा हुआ है, ‘भगवान के जुड़वां गांव में आपका स्वागत है- कोडिन्ही’।
यह भी पढ़ें – 8 साल की बच्ची के साथ हुई दरिंदगी, दोस्त का पिता ही निकला आरोपी
जुड़वां बच्चों के जन्म के रहस्य के बारे में अब तक पता नहीं लगाया जा सका है। इसके लिए भारत के ही नहीं बल्कि लंदन और जर्मनी के शोधकर्ता भी लगातार इस विषय पर काम कर रहे हैं। इसके लिए यहां का एक समूह ने साल 2016 में कोडिन्ही भी पहुंच चुका है। यहां उन्होंने डीएनए का अध्ययन करने के लिए बाल और स्लाइवा के कई नमूने लिए थे लेकिन इन सबके बाद भी ये रिसर्च रहस्यमयी ही रही। उनका कहना है कि कोडिन्ही में ग्रामीणों की हवा, पानी और आहार में एक विशेष तत्व की वजह से भी जुड़वां बच्चे हो सकते हैं लेकिन अभी तक कुछ भी स्पष्ट रूप से साबित नहीं हो पाया।
यह भी पढ़ें – मजदूरों ने किया लालघाटी मार्ग जाम, मुआवजा देने की मांग, समझाइश के बाद खुला मार्ग