Baltic Sea: 140,000 साल पुराने बाल्टिक सागर का सुलझ गया रहस्य! जानिए आखिर क्या है यह जिसके करीब जाने से बंद हो जाते है बिजली के उपकरण

Baltic Sea: बाल्टिक सागर के तल पर मिली अजीब का वस्तु का रहस्य अब खुलता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि अभी भी पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है की आखिर यह क्या है।

Rishabh Namdev
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Baltic Sea: एक अजीब और अस्पष्ट वस्तु बाल्टिक सागर के तल पर मिली है, जिसकी सच्चाई आखिरकार अब खुल गई है। दरअसल यह वस्तु 140,000 साल से अधिक पुरानी है और कुछ लोग इसे धातु के सीधे और कोणीय टुकड़ों से बनाया गया मान रहे हैं। जानकारी के अनुसार गोताखोरों ने जहाज के मलबे की तलाश के दौरान इसे खोजा था।

खोजकर्ताओं ने इस संरचना को एक लंबी सीढ़ी से जोड़ा:

दरअसल स्टॉकहोम विश्वविद्यालय के एक शोध में सामने आया है, कि बाल्टिक सागर में उत्पन्न विसंगति वास्तव में हिम युग की अवधि के दौरान समुद्र में हिमनद गतिविधियों के उत्पन्न होने का परिणाम है। इससे स्पष्ट होता है कि इस अज्ञात वस्तु कैसे इस स्थान तक पहुंची। वहीं खोजकर्ताओं ने इस संरचना को एक लंबी सीढ़ी के रूप में जोड़ा है, जो एक अंधेरे छेद तक जाती है और फिर एक और अज्ञात वस्तु तक पहुंचती है।

वहीं कुछ लोग अनुमान लगा रहे हैं कि बाल्टिक सागर में खोये गए पानी के नीचे एक शहर के अवशेष हो सकते हैं। जबकि कुछ के अनुसार, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक विदेशी यूएफओ बेड के सदस्य की एक क्रूज समुद्र तल पर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी या हो सकती है, वहीं ऐसा हो सकता है कि इससे किसी प्रकार की पनडुब्बी रोधी उपकरण बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसके करीब आने से बंद हो जाते हैं उपकरण:

इसके बावजूद कि यह एक बड़ी चट्टान के समान लग रहा है, कुछ वैज्ञानिकों ने इसे प्राकृतिक सामग्रियों का नहीं बताया और कहा कि यह वास्तव में धातु से बना होने के कारण यह किसी के द्वारा निर्मित हो सकती हैं। ओशन एक्स के गोताखोर स्टीफ़न होगरबॉर्न के अनुसार, यहां का सबसे रहस्यमयी बात यह है कि इसके करीब आने से सभी बिजली और सैटेलाइट से चलने वाले उपकरण बंद हो जाते हैं।

स्टॉकहोम विश्वविद्यालय के भूविज्ञानी वोल्कर ब्रुचर्ट ने अध्ययन किया और खुलासा किया कि “यह अधिकांश ग्रेनाइट हैं और नाइस और बलुआ पत्थर का बना हैं।इसमें कुछ भी रहस्यमय नहीं है, यह ज्वालामुखीय चट्टान हो सकता है, मेरी परिकल्पना है कि यह वस्तु, यह संरचना हिम युग के दौरान हजारों की संख्या में बनी थी।”


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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