नींद चुराने वाली ब्लू लाइट : स्क्रीन और नीली रोशनी से दूरी जरूरी, जानें कैसे बचाएं अपनी नींद और सेहत

यूं तो स्क्रीन का ज्यादा उपयोग हमारे लिए कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है, लेकिन इससे निकलने वाली नीली रोशनी हमारी नींद के लिए काफी नुकसानदायक है। नीली रोशनी से मेलाटोनिन का उत्पादन प्रभावित होता है, जिससे नींद की समस्या पैदा हो सकती है। इसीलिए हमें यह खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए कि रात में स्क्रीन का उपयोग कम से कम करें।

Blue Light effects on sleep

Blue Light effects on sleep : नींद की समस्या इन दिनों आम हो चली है। इसके कई कारण से हो सकते हैं और उनमें से एक मुख्य कारण ब्लू लाइट बनता जा रहा है। ब्लू लाइट विशेष रूप से स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट और एलईडी बल्ब जैसे डिजिटल उपकरणों से निकलती है। यह नींद के प्राकृतिक चक्र (सर्केडियन रिदम) को प्रभावित कर सकती है। जब हम स्मार्टफोन, कंप्यूटर या अन्य स्क्रीन पर काम करते हैं तो हमारा सीधे तौर पर नीली रोशनी से संपर्क होता है। यह स्क्रीन पर दिखाई देने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन को कम करती है, जिससे रात के समय नींद आने में मुश्किल हो सकती है।

कई अध्ययनों ने यह पाया गया है कि अगर हम रात के समय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करते हैं तो मेलाटोनिन के उत्पादन में मुश्किल होती है। इस कारण नींद आने में समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके कारण नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है और हम अधिक समय तक जागते रहते हैं। ब्लू लाइट का ज्यादा संपर्क होने से हम रात में समय सोने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं और इसका लंबा असर भी पड़ सकता है जैसे कि थकान, नींद की कमी और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं।

क्या है Blue Light

नीली रोशनी या ब्लू लाइट वह उच्च-ऊर्जा दृश्य प्रकाश (HEV) है जो नीले रंग की तरंग दैर्ध्य में आती है। यह सूरज की रोशनी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप, टेलीविज़न और अन्य स्क्रीन से निकलती है। आपको ये जानकर अचरज हो सकता ह कि सूरज की रोशनी में भी ब्लू लाइट होती है, लेकिन जब यह कृत्रिम स्रोतों से आती है तो इसका अधिक समय तक संपर्क नींद और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

नीली रोशनी नींद को कैसे प्रभावित करती है

मेलाटोनिन एक प्राकृतिक हार्मोन है जिसे हमारे शरीर में पीनियल ग्रंथि (pineal gland) द्वारा रात में या अंधेरे में उत्सर्जित किया जाता है। यह हार्मोन हमारी नींद और जागने के चक्र (सर्केडियन रिदम) को नियंत्रित करता है और हमें सोने के लिए प्रेरित करता है। मेलाटोनिन का उत्पादन अंधेरे में अधिक होता है और दिन के समय यह कम होता है। ब्लू लाइट, विशेष रूप से 460–480 नैनोमीटर तरंग दैर्ध्य की लाइट, नींद-नियंत्रण हार्मोन मेलाटोनिन के उत्पादन में बाधा बनती है। हमारी आंखों में विशेष प्रकार के फोटोरिसेप्टर्स होते हैं, जिन्हें टॉपोकाइमल रिसेप्टर्स (ipRGCs) कहा जाता है। ये रिसेप्टर्स खासतौर पर ब्लू लाइट को पहचानते हैं और फिर यह संकेत दिमाग तक भेजते हैं। जब हमें रात के समय ब्लू लाइट का सामना होता है, तो यह रिसेप्टर्स हमारी पीनियल ग्रंथि को संदेश भेजते हैं कि “यह समय सोने का नहीं है”, जिससे मेलाटोनिन का उत्पादन कम हो जाता है।

नींद पर नीली रोशनी का प्रभाव

1. मेलाटोनिन का अवरोध : मेलाटोनिन एक हार्मोन है जो नींद को नियंत्रित करता है। जब हम स्क्रीन पर ब्लू लाइट के सामने होते हैं तो यह मेलाटोनिन के उत्पादन को रोकता है, जिससे नींद में दिक्कत होती है। रात को स्क्रीन के सामने अधिक समय बिताने से यह हार्मोन कम उत्पादन करता है, जिससे हमें सोने में कठिनाई हो सकती है।
2. नींद चक्र में गड़बड़ी : ब्लू लाइट हमारी जैविक घड़ी (सर्केडियन रिदम) को प्रभावित करता है। यह हमारी प्राकृतिक नींद और जागने के चक्र में बाधा डाल सकती है, जिससे नींद की गुणवत्ता खराब हो सकती है और हम सोने के बाद भी थका हुआ महसूस कर सकते हैं।
3. अधिक समय तक स्क्रीन का उपयोग : कई शोध में पाया गया है कि देर रात तक स्क्रीन का उपयोग करने से सोने का समय बढ़ सकता है, जिससे रात की नींद की अवधि घटती है। इसके कारण शरीर को ठीक से आराम नहीं मिल पाता है।

ब्लू लाइट से दूरी क्यों जरूरी है

1. स्वस्थ नींद को बढ़ावा देना: यदि आप रात में स्क्रीन से कम संपर्क में रहते हैं, तो यह आपके मेलाटोनिन के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करता है, जिससे आपकी नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है।
2. अन्य समस्याओं से बचाव : ब्लू लाइट से ज्यादा संपर्क नींद के अलावा आंखों की सेहत को भी प्रभावित कर सकता है। इसके संपर्क से आंखों में थकान, जलन और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिन्हें डिजिटल आई स्ट्रेन कहा जाता है। इसके अलावा भी बहुत अधिक स्क्रीन टाइम से कई तरह की समस्याओं का खतरा रहता है।

ब्लू लाइट से बचने के उपाय

1. स्क्रीन से दूरी बनाए रखें: सोने से कम से कम एक घंटे पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग न करें।
2. ब्लू लाइट फिल्टर : स्मार्टफोन और लैपटॉप पर ब्लू लाइट फिल्टर या रात मोड का उपयोग करें।
3. आंखों को आराम दें : नियमित रूप से आंखों को आराम देने के लिए 20-20-20 नियम अपनाएं। हर 20 मिनट में स्क्रीन से 20 फीट दूर किसी चीज को 20 सेकंड के लिए देखें।
4. ब्लू लाइट फिल्टर : ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग करें या रात मोड का इस्तेमाल करें।
5.  प्राकृतिक अंधेरा बनाए : प्राकृतिक अंधेरा बनाए रखें, ताकि मेलाटोनिन का उत्पादन सही तरीके से हो सके।


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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