कलर थेरेपी : रंगों से बनाइए सेहत, सिर्फ खूबसूरती नहीं बढ़ाते बल्कि सेहत भी बनाते हैं रंग, जानिए क्या होती है क्रोमोथेरेपी

रंग हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये न सिर्फ हमारी दृष्टि को सुंदरता प्रदान करते हैं बल्कि भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक स्तर पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं। क्रोमोथेरेपी, जिसे रंग चिकित्सा भी कहते हैं, रंगों के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संतुलन को सुधारने की पद्धति है। इसमें हर रंग का एक विशेष महत्व बताया गया है और उसी आधार पर इनका उपयोग किया जाता है।

Colour Therapy for Health

Chromotherapy, also known as Color Therapy : रंगों का हमारे जीवन में क्या महत्व है ? सोचिए अगर रंग न होते तो सबकुछ कितना नीरस और फीका होता। रंग हमारे जीवन में रस भी लेकर आते हैं। इतना ही नहीं, रंगों से इलाज भी हो सकता है। आज हम बात कर रहे हैं क्रोमोथेरेपी की जिसे आमतौर पर “कलर थेरेपी” कहा जाता है। ये एक वैकल्पिक उपचार पद्धति है जिसमें विभिन्न रंगों का उपयोग कर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने और सुधारने का प्रयास किया जाता है।

रंग हमारे जीवन में गहरे स्तर पर प्रभाव डालते हैं और हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक अनुभवों को प्रभावित करते हैं। हालांकि क्रोमोथेरेपी को पूरक चिकित्सा के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन इसे पारंपरिक चिकित्सा का विकल्प नहीं माना जाता है। वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी के कारण इसे मुख्यधारा में अभी भी व्यापक मान्यता नहीं मिली है। लेकिन सहायक चिकित्सा पद्धति के रूप में कई स्थानों पर इसका प्रयोग किया जाता है।

क्या है क्रोमोथेरेपी

रंग सिर्फ सौंदर्य और कला का हिस्सा भर नहीं है, बल्कि वे हमारे मस्तिष्क, स्वास्थ्य और भावनाओं को भी गहराई से प्रभावित करते हैं। इसलिए रंगों का सही उपयोग हमारे जीवन को अधिक सकारात्मक और संतुलित बना सकता है। इसी क्रम में देखें तो क्रोमोथेरेपी, जिसे रंग चिकित्सा (कलर थेरेपी) भी कहा जाता है एक प्राचीन वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है  यह चिकित्सा पद्धति रंगों के कंपन और उनके प्रभावों पर आधारित है, जो मानव शरीर की ऊर्जा को प्रभावित करते हैं। इसमें रंगों की ऊर्जा और कंपन के गुणों का उपयोग करके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन प्राप्त किया जाता है। यह चिकित्सा पद्धति हजारों साल पुरानी है और इसे भारत के अलावा, प्राचीन मिस्र और चीन जैसी कई सभ्यताओं में इस्तेमाल किया गया है।

कलर थेरेपी के मुख्य तत्व

कई शोधों से पता चलता है कि रंग प्रकाश के रूप में शरीर के पिट्यूटरी ग्रंथि को उत्तेजित करते हैं, जिससे हार्मोन स्रावित होते हैं। यह प्रक्रिया भावनाओं और स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए, लाल रंग उत्साह और ऊर्जा उत्पन्न करता है, जबकि नीला रंग तनाव को कम करता है​। क्रोमोथेरेपी में यह माना जाता है कि रंगों का सीधा प्रभाव हमारे शरीर और मन पर पड़ता है। मानव शरीर में सात चक्र (ऊर्जा केंद्र) होते हैं, जो अलग-अलग रंगों से जुड़े होते हैं। शरीर के सात प्रमुख चक्रों को सात रंगों (लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, इंडिगो, बैंगनी) से जोड़ा गया है। प्रत्येक रंग का एक विशिष्ट प्रभाव बताया गया है जो इस प्रकार है :

लाल : जीवन ऊर्जा और शारीरिक शक्ति के लिए।
नारंगी : रचनात्मकता और भावनात्मक संतुलन के लिए।
पीला : आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति के लिए।
हरा : शांति और हृदय स्वास्थ्य के लिए।
नीला : मानसिक शांति और तनाव-मुक्ति के लिए।
इंडिगो (गहरा नीला) : अंतर्ज्ञान और मानसिक स्पष्टता के लिए।
बैंगनी : आध्यात्मिकता और ध्यान के लिए​।

कैसे होती है क्रोमोथेरेपी

क्रोमोथेरेपी में प्रकाश, रंगीन कपड़े, भोजन या वातावरण में रंगों का उपयोग शामिल हो सकता है। इसे शरीर के ऊर्जा असंतुलन को ठीक करने और मन को शांत करने के लिए अपनाया जाता है। यह थेरेपी तनाव, अनिद्रा, अवसाद और इम्यून सिस्टम को सुधारने में सहायक हो सकती है। हालांकि, ज़्यादातर इसे पारंपरिक चिकित्सा के विकल्प के रूप में नहीं बल्कि एक सहायक उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, इसे आध्यात्मिक उपचार के रूप में भी देखा जाता है और ध्यान-योग के दौरान मानसिक संतुलन बढ़ाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। इन विधियों के माध्यम से क्रोमोथेरेपी रंगों की ऊर्जा का उपयोग करके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने की कोशिश करती है।

  1. प्रकाश चिकित्सा: इस विधि में विशेष रंगीन लाइट्स या लाइट बॉक्स का उपयोग किया जाता है, जिनसे रंग शरीर के ऊर्जा चक्रों (चक्रों) को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, नीला रंग मानसिक शांति के लिए और लाल रंग शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  2. रंगीन जल चिकित्सा: इसमें रंगीन पानी का सेवन या त्वचा पर लगाना शामिल होता है। रंगों के संपर्क में आने से शरीर के अंदर ऊर्जा संतुलन में मदद मिलती है।
  3. रंगीन वस्त्र और आभूषण: कभी-कभी शरीर के ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को प्रभावित करने के लिए विशेष रंग के कपड़े या गहनों का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, पीला रंग मानसिक स्पष्टता और खुशी के लिए पहना जाता है।
  4. आंतरिक वातावरण में रंगों का प्रयोग: घर या कार्यस्थल में रंगीन दीवारें, पर्दे या सजावट से सकारात्मक माहौल और शांति उत्पन्न की जाती है। रंगों के अनुसार वातावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए रंगीन प्रकाश या अन्य सजावटी वस्त्रों का इस्तेमाल किया जाता है।

(स्पष्टीकरण : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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