Divorce Temple: सनातन धर्म में मंदिरों का अपना एक विशेष महत्व है। वहीं हम सनातन धर्म की बात करें तो हर मंदिर के अपने-अपने नियम और कानून होते हैं, जिससे वे दुनिया भर में मशहूर होते हैं। दरअसल मंदिरों के जरिए ही अपने अपने कल्चर को सुरक्षित हर धर्म द्वारा रखा जाता हैं। वहीं अपने जीवन में आपने कई ऐसे मंदिरों के बारे में सुना होगा जहां अपनी-अपनी मान्यताएं है। आज ऐसे ही एक मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
‘तलाक मंदिर’ की अपनी एक खास पहचान
दरअसल आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसकी अपनी एक खास पहचान हैं। दरअसल इसे ‘तलाक मंदिर’ के नाम से ही जाना जाता हैं। आपको बता दें कि यह मंदिर जापान में स्थित है और इसे उसके अजीब इतिहास के लिए विख्यात माना जाता है। दरअसल यदि आप इसका नाम सुनकर यह सोच रहे होंगे की शायद इस मंदिर में तलाक करवाए जाते होंगे तो ऐसा नहीं हैं, यहां तलाक नहीं होते और न ही किसी देवी-देवता की पूजा की जाती है।
क्या है इस मंदिर की विशेषता?
आपको बता दें तलाक मंदिर, जिसे विशेष रूप से ‘मात्सुगाओका टोकेई-जी के नाम से भी जाना जाता है, 12वीं और 13वीं शताब्दी की शुरुआत में जापान में बनाया गया था। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सशक्त करना था, क्योंकि उस समय महिलाओं की सामाजिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी और उनके अधिकारों में भी बड़ी असमानता थी।
जापान के समाज में 12वीं और 13वीं शताब्दी में सिर्फ पुरुषों के लिए तलाक की व्यवस्था थी, जिसके अनुसार पुरुष आसानी से अपनी पत्नी को तलाक दे सकते थे। इस दौरान वे महिलाएं जिन्हें शादी में खुशी नहीं मिली या घरेलू हिंसा की सामना कर रही थीं, उनके लिए एक समर्थन संरचना की आवश्यकता थी।
1285 में, बौद्ध नन काकुसान शिदो-नी ने तलाक मंदिर की स्थापना की, जो उन महिलाओं को आश्रय और सहायता प्रदान करने के लिए था जो संघर्ष कर रही थीं। यहां, वे अपने जीवन को आध्यात्मिकता में समर्पित करके बिताती थीं।
(Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।)