Intermittent Fasting : इन दिनों इंटरमिटेंट फास्टिंग काफी चलन में आ रहा है। कई लोग अलग अलग कारणों से इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपना रहे हैं। इनमें सबसे बड़ी वजह है वजन कम करना। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग का असल में अर्थ क्या है और अगर इसे आज़माने का सोच रहे हैं तो पहले इससे होने वाले संभावित लाभ के साथ नुकसान पर भी एक नज़र डाल लेना जरुरी है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग एक ऐसी उपवास पद्धति या खाद्य प्रणाली है जिसमें खाने पीने के समय की सीमा निर्धारित की जाती है। यह एक पैटर्न है जिसमें आप खाने पीने के समय को नियमित रखते हैं और अन्य समय के लिए रोक लगाते हैं। आसान शब्दों में कहें तो दो भोजन के बीच का अंतराल.. इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब होता है कि आप खाने के वक्त और भूखे रहने के वक्त के बीच एक इंटरवल (अंतराल) रखते हैं। यह तकनीक आपके खाने पीने की गतिविधियों को नियंत्रित करके आपके शरीर के एक खास तरह से निर्देशित करने का एक तरीका है। इंटरमिटेंट फास्टिंग विभिन्न प्रकार हो सकती हैं, जिसमें से कुछ प्रमुख तरीके ये हैं –
16:8 फास्टिंग : इसमें आप रोजाना 16 घंटे के लिए भोजन छोड़ देते हैं और उसके बाद 8 घंटे के अंतराल में खाने पीने की सुविधा होती है। आमतौर पर, लोग रात के खाने को छोड़कर सुबह से शुरू करते हैं और दोपहर तक अपने भोजन को पूरा कर लेते हैं।
5:2 फास्टिंग : इसमें आप प्रतिसप्ताह कुछ दिनों तक भोजन को प्रतिबंधित करते हैं और बाकी दिनों में सामान्य तरीके से खाने पीने की सुविधा होती है। यह आमतौर पर इतना कठिन नहीं होता है क्योंकि इसमें आपको सिर्फ कुछ दिनों के लिए उपवास रखना होता है।
24 घंटे का फास्टिंग : इसमें आप दिनभर में सिर्फ एक बार खाना खाते हैं और अगला भोजन 24 घंटे बाद करते हैं। दोपहर से दोपहर तक या रात से रात तक किसी एक अवधि में भोजन किया जाता है और दो भोजन के बीच 24 घंटे का अंतराल होता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग को वजन घटाने, मधुमेह को कंट्रोल करने तथा आत्मसंयम और ऊर्जा बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। हालांकि, यह तकनीक निश्चित रूप से हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती है क्योंकि सबकी शारीरिक संरचना अलग होती है। और अगर कोई किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहा है कोई अलग स्थिति है तो इसे बिना चिकित्सकीय परामर्श के बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई लाभ बताए जाते हैं, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए इनके बारे में जान लेना बेहतर है।
लाभ
वजन घटाना/नियंत्रित करना : इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन कम करने में कफी मददगार साबित हो सकता है। यह आपके शरीर के अंदर उपयोगी फास्टिंग स्थिति को बढ़ाकर आपके खाने की ऊर्जा का उपयोग करता है और फैट कम करता है।
इंसुलिन पर नियंत्रण : इंटरमिटेंट फास्टिंग आपके इंसुलिन स्तर को नियंत्रित कर सकता है और मधुमेह में भी लाभकारी हो सकता है।
ऊर्जा बढ़ाना : फास्टिंग के दौरान आपके शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ जाता है और यह आपको अधिक ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करता है।
सेल्फ-क्लींजिंग : फास्टिंग के दौरान शरीर की एक प्रकार का सेल्फ-क्लींजिंग या डिटॉक्स प्रक्रिया शुरू होती है, जिसमें शरीर के अपशिष्ट और नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों को बाहर निकाला जाता है।
नुकसान
भूख की समस्या : कुछ लोगों को इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान भूख की समस्या हो सकती है, जो उन्हें असहज महसूस करा सकती है और मनोवैज्ञानिक तनाव पैदा कर सकती है।
पोषण की कमी : इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान कई बार सही पोषण नहीं मिल पाता है। खासकर अगर आप अपने खाने में सुरक्षित पोषक तत्वों को नहीं रखा है तो ये एक दिक्कत हो सकती है। इसीलिए महत्वपूर्ण है कि आप संतुलित और पौष्टिक भोजन करें।
स्थायित्व और अनुकूलन : इंटरमिटेंट फास्टिंग को स्थायी रूप से अपनाना या अपने जीवनशैली में उसे अनुकूलित करना कठिन हो सकता है। कुछ लोगों के लिए इसे अपनाना करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है और उन्हें शारीरिक अनुकूलन की आवश्यकता हो सकती है।
इसीलिए हम एक बार फिर कहेंगे कि यदि आप इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाने की सोच रहें हैं तो पहले अपने चिकित्सक या पोषण सलाहकार से परामर्श जरुर करें। वे आपके स्वास्थ्य स्थिति को के अनुसार सही निर्देश देंगे।
(आवश्यक : इंटरमिटेंट फास्टिंग या ऐसा ही कोई उपवास करने से पहले चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लें)