क्या आप भी लौटना चाहते हैं बुढ़ापे से जवानी की ओर, जानिए क्या होती है रिवर्स एजिंग

क्या हो अगर जादू से आप बीस साल पीछे लौट जाएं ? या फिर आपकी उम्र पंद्रह साल कम हो जाए। ऐसे विचार अक्सर कई लोगों को आते हैं लेकिन इनकी असलियत भी हमें पता है इसलिए बुलबुले की तरह फूट भी जाते हैं। लेकिन ऐसे विचार जब वैज्ञानिकों के मन में कौंधते हैं तो कई तरह के शोध और अध्ययन की शुरुआत होती है। रिवर्स एजिंग को लेकर भी अरसे से ऐसी ही कई रिसर्च चल रही हैं। 

Reverse Aging

Reverse Aging : उम्र और वजन बढ़ना इस संसार के सबसे बड़े कष्टों में शामिल है। आमतौर पर अगर आप किसी से पूछे कि क्या मलाल रह रहा या क्या ऐसी कोई इच्छा है जो पूरी करना चाहते हैं तो अधिकांश का जवाब होगा कि वो दस या बीस साल पीछे लौटना चाहते। कहने का अर्थ है ये कि ज़्यादातर लो अपनी उम्र कम करना चाहते हैं या जवानी में लौटना चाहते हैं। हालांकि इसके लिए कोई जादू तो संभव नहीं..लेकिन रिवर्स एजिंग कुछ ऐसी ही अवधारणा है।

रिवर्स एजिंग का कांसेप्ट उम्र बढ़ने की प्रक्रियाओं को धीमा करने या उलटने की संभावना को दर्शाता है। इसका लक्ष्य कोशिकाओं और ऊतकों को फिर से सक्रिय करना, उनके कार्यक्षमता में सुधार करना और उम्र से जुड़ी बीमारियों का इलाज करना है। कुछ हालिया रिसर्च के अनुसार, वैज्ञानिकों ने जीन, डीएनए में सुधार और रसायनिक उपचारों का उपयोग करके उम्र बढ़ने के प्रभावों को उलटने के लिए सफल प्रयोग किए हैं।

क्या है Reverse Aging

रिवर्स एजिंग एक वैज्ञानिक अवधारणा है जिसका उद्देश्य उम्र बढ़ने की प्रक्रियाओं को धीमा करना या उलटना है। इसमें डीएनए की मरम्मत, जीन संशोधन और कोशिका स्तर पर सुधार जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। हाल ही में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाया कि नैड (NAD) जैसे अणु कोशिकाओं की कार्यक्षमता को बेहतर बना सकते हैं, जिससे उम्र बढ़ने के लक्षणों में कमी आ सकती है। यह शोध रिवर्स एजिंग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, सही खानपान और जीवनशैली से हम बढ़ती उम्र के नकारात्मक प्रभावों को काफी हद तक काबू में रख सकतै हैं। लेकिन रिवर्स एजिंग की प्रक्रिया अगर सफल होती है तो इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगी। इसे लेकर कई शोध और अध्ययन जारी हैं।

आखिर क्यों बढ़ती है हमारी उम्र

व्यक्ति की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया जटिल होती है और इसमें कई जैविक, जेनेटिक और पर्यावरणीय कारक शामिल होते हैं। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, कोशिकाओं की कार्यक्षमता में कमी आती है, डीएनए में बदलाव या नुकसान होता है, और टेलोमेरेज (जो कोशिकाओं के विभाजन को नियंत्रित करता है) की लंबाई घटने लगती है। इसके परिणामस्वरूप शरीर की मरम्मत की क्षमता कम हो जाती है, जिससे उम्र बढ़ने के लक्षण जैसे झुर्रियाँ, मांसपेशियों की कमजोरी और आंतरिक अंगों की कार्यक्षमता में गिरावट होती है।

रिवर्स एजिंग के लिए क्या तरीके हो सकते हैं

वैज्ञानिक रिवर्स एजिंग के लिए कई नई तरीकों पर काम कर रहे हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।

  • स्टेम सेल थेरेपी : स्टेम सेल्स उन विशेष कोशिकाओं को कहा जाता है जिनमें किसी भी प्रकार की कोशिका में बदलने की अद्वितीय क्षमता होती है। स्टेम सेल थेरेपी के जरिए शरीर के पुराने और कमजोर अंगों की मरम्मत की जा सकती है। इस उपचार से कोशिकाओं और ऊतकों को फिर से सक्रिय किया जा सकता है, जिससे शरीर में ताजगी और ऊर्जा का अहसास होता है। यह थेरपी रिवर्स एजिंग के प्रभावी तरीकों में से एक मानी जाती है, क्योंकि यह शरीर के आंतरिक उपचार को बढ़ावा देती है।
  • जेनेटिक इंजीनियरिंग : वैज्ञानिकों के मुताबिक़ कुछ विशिष्ट जीन को सक्रिय करके कोशिकाओं को फिर से जवान बनाया जा सकता है, जिससे शरीर की मरम्मत हो सकती है।
  • टेलोमेरेज : टेलोमेरेज की लंबाई बढ़ाकर कोशिकाओं की उम्र को कम किया जा सकता है, जिससे उनका विभाजन तेज होता है।
  • एंटीऑक्सीडेंट्स : ये मुक्त कणों को नष्ट करने में मदद करते हैं, जिससे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।
  • कैलोरी रिस्ट्रीक्शंस:  यह उम्र बढ़ने को धीमा करने के लिए प्रभावी तरीका साबित हो सकता है।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)

 


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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